Stories

Ganesha short stories: Ganesha's VICTORY!!!



Ganesha Short Stories

एक बार भगवान्  शिव और पार्वती जी बात कर रहे होते है कि तभी नारद जी नारायण  नारायण करते हुए आते है. शिव और पार्वती जी नारद जी का स्वागत करते है और उनके आने का कारण पूछते है. नारद जी बताते है क़ि उनके पास एक बहुत कीमती  फल है  और वो उस फल को शिव जी को दे देते है. शिव जी फल को  स्वीकारते है और सोचते  है कि मेरे खाने से अच्छा होगा की ये फल मैं पारवती जी को दे  दू. शिव जी वो फल पारवती जी को दे देते है. पारवती जी फल स्वीकारते हुए  सोचती है कि मेरे खाने अच्छा होगा की ये  फल मेरे बेटे खाये। वो अपने बेटो को बुलाती है।  दोनों कार्तिके और गणेश जी भगवान् शिव और पारवती जी के सामने उपस्थित  होते  है और उन्हें बुलाने  कारण पूछते है।  पारवती जी उन दोनों को कीमती फल के बारे में  बताती है तो दोनों कहने लगते है की फल मुझे दो. शिव जी नारद से व्यंग करते हुए पूछते है कि अब खुश हो. नारायण नारायण करते हुए  नारद जी कहते है की मेरी इच्छा अच्छी थी. पारवती जी भाइयो के झगडे को बढ़ता हुआ देखकर कहती है की इस फल को आधा आधा दोनों भाइयो को दे देते है. नारायण नारायण करते हुए नारद जी कहते है  कि जो  इस फल को पूरा खायेगा उसे ही फल की शक्तिया प्राप्त होगी। पारवती जी धर्म संकट में पड़ जाती है और भगवान् शिव से मदद माँगती है. भगवान् शिव एक प्रतियोगिता आयोजित करते है की जो जीतेगा उसे फल मिलेगा। दोनों भाई उसपर स्वीकृति प्रधान करते है. शिव जी कहते है जो इस संसार के तीन चक्कर सबसे पहले लगाएगा उसे फल मिलेगा। कार्तिकेय  कहते है ये तो बहुत आसान है और मैं अभी शुरू करता हूँ।  कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर बैठकर उड़ जाते है. गणेश जी सोचते है की वो क्या करे. गणेश जी मनन करते है की मेरा वाहन बहुत छोटा और उससे मैं मोर का मुकाबला नहीं कर पाउगा। तभी उन्हें एक आईडिया आता है. वो शिव जी और पारवती जी के तीन चक्कर लगाकर कहते है की लो मैने  प्रतियोगिता जीत ली , लाओ मेरा फल. शिव और पारवती आश्चर्यचकित हो जाते है और पूछते है तुमने प्रतियोगिता कैसे जीती। तुम तो कैलाश से गए भी नहीं।  गणेश जी मुस्कुराकर कहते है की आपदोंनो का चक्कर काटना पूरे संसार के चक्कर काटने के सामान है और इस बात के साक्षी वेद और पुराण है. इसलिए मैं जीत गया. शिव जी पारवती और नारद हैरान रह जाते है और फल गणेश जी को दे देते है. जय गणेशा।।।।।




About Dr. Akansha Jain

MangalMurti.in. Powered by Blogger.