9 दिन नवरात्र के:
कल से नवरात्र शुरू होने वाले
हैं और अगर आपको अभी तक ये नहीं पता की आने वाले आगामी नौ दिनों में से किस दिन
कौन सी देवी की पूजा की जाती है तो आप रत्ती भर न घबराइये हम आपतक सारी माताओं
के नाम और समरूपी दिनों पे उनके पूजन से जरूरी सारी जानकारी उपलब्ध कायरेंगे।
१.शैलपुत्री
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माँ शैलपुत्री |
नवरात्र का पहला दिन माँ
शैलपुत्री की पूजा अर्चना से शुरू होता है। पर्वतराज हिमालय के यहाँ पुत्री रूप में उत्पन्न
होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा था। भगवती का वाहन वृषभ, दाहिने हाथ में त्रिशूल, और बायें हाथ में कमल सुशोभित है।
२.ब्रह्मचारिणी
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देवी ब्रह्मचारिणी |
माँ दुर्गा की नवशक्तियों का दूसरा स्वरूप
ब्रह्मचारिणी का है। यहाँ ब्रह्म शब्द का अर्थ तपस्या है। ब्रह्मचारिणी अर्थात तप
की चारिणी-तप का आचरण करने वाली। दुष्कर तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी
अर्थात ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया गया। केवल ज़मीन पर टूट कर गिरे बेलपत्रों को खाकर तीन
हज़ार वर्ष तक भगवान शंकर की आराधना करती रहीं। कई हज़ार वर्षों तक वह निर्जल और
निराहार रह कर व्रत करती रहीं।
३.चंद्रघंटा
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माँ चंद्रघंटा |
माँ दुर्गा की तृतीय शक्ति का नाम
चंद्रघंटा है। नवरात्रि विग्रह के तीसरे दिन इन का पूजन
किया जाता है। माँ का यह स्वरूप शांतिदायक और कल्याणकारी है। इनके माथे पर घंटे के
आकार का अर्धचंद्र है,
इसी लिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। इनका शरीर स्वर्ण के समान
उज्ज्वल है, इनके दस हाथ हैं। दसों हाथों में खड्ग,
बाण आदि शस्त्र सुशोभित रहते हैं। इनका वाहन सिंह है।
४.कूष्मांडा
कूष्मांडा |
माँ दुर्गा के चौथे स्वरूप का नाम
कूष्माण्डा है। अपनी मन्द हंसी से अण्ड अर्थात ब्रह्माण्ड को उत्पन्न करने के कारंण
इन्हें कूष्माण्डा देवी के नाम से जाना जाता है। संस्कृत भाषा में कूष्माण्ड कूम्हडे को
कहा जाता है, कूम्हडे
की बलि इन्हें प्रिय है, इस कारण से भी इन्हें कूष्माण्डा
के नाम से जाना जाता है।
५.स्कंदमाता
स्कंदमाता |
माँ दुर्गा के पांचवें स्वरूप को
स्कन्दमाता के रूप में जाना जाता है। इन्हें स्कन्द कुमार कार्तिकेय नाम से भी जाना जाता है। यह
प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में
देवताओं के सेनापति बने थे। पुराणों में इन्हें कुमार शौर शक्तिधर
बताकर इनका वर्णन किया गया है। इनका वाहन मयूर है अतः इन्हें मयूरवाहन के नाम से
भी जाना जाता है।
६.कात्यानी
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माँ कात्यायिनी |
माँ दुर्गा के छठे रूप का नाम कात्यायनी है। ऋषि कात्यायन ने भगवती की उपासना करते हुए कठिन
तपस्या की। उनकी इच्छा थी कि भगवती उनके घर में पुत्री के रूप में जन्म लें। माता
ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली। कुछ समय के पश्चात जब महिषासुर नामक राक्षस का अत्याचार बहुत
बढ़ गया था, तब
उसका विनाश करने के लिए देवी का जन्म हुआ ।
७.कालरात्रि
देवी कालरात्रि |
दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि के
नाम से जानी जाती है। इनके शरीर का रंग घने अंधकार की भाँति काला है, बाल बिखरे हुए, गले
में विद्युत की भाँति चमकने वाली माला है। इनके तीन नेत्र हैं जो ब्रह्माण्ड की
तरह गोल हैं, जिनमें से बिजली की तरह चमकीली किरणें
निकलती रहती हैं। इनकी नासिका से श्वास, निःश्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालायें
निकलती रहती हैं। इनका वाहन 'गर्दभ' (गधा) है।
८.महागौरी
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महागौरी |
दुर्गा की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी
है। इनका वर्ण पूर्णतः गौर है। इस गौरता की उपमा शंख, चन्द्र और कून्द के फूल की गयी है। इनकी आयु
आठ वर्ष बतायी गयी है। इनका दाहिना ऊपरी हाथ में अभय मुद्रा में और निचले दाहिने
हाथ में त्रिशूल है। बांये ऊपर वाले हाथ में डमरू और बांया नीचे वाला
हाथ वर की शान्त मुद्रा में है।
९.सिद्धिदात्री
माँ सिद्धिदात्री |
दुर्गा की नवम शक्ति का नाम सिद्धि है।
ये सिद्धिदात्री हैं। सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली माता इन्हीं को माना
गया है। मार्कण्डेय
पुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा,
लघिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, ईशित्व और वशित्व ये आठ सिद्धियां
होती हैं।