हिमाचल और उत्तर भारत के धार्मिक देवी मंदिर पुरे देश में प्रसिद्ध है । नवरात्री दुर्गा माँ के नो दिन त्यौहार की तरह मनाया जाता है । नवरात के इन नो दिनों में उपवास रखा जाता है। इन नो दिन दुर्गा माँ की नो अलग अलग शक्तियों की पूजा की जाती है। अब हम दुर्गा माँ के कुछ प्रसिद मंदिर की बात करेंगे जहाँ दुर्गा माँ अपने अलग अलग रूप में विराजमान है ।
माँ वैष्णोदेवी मंदिर
माँ वैष्णोदेवी मंदिर देश का सबसे ज्यादा पवित्र और प्रसिद्ध मंदिर है । माता वैष्णोदेवी लगभग १४ किलोमीटर की पर्वतीय श्रृंखला की सबसे ऊँची चोटी पर विराजमान है । यहाँ पर पुरे देश से लाखो लोग दर्शन करने के लिए आते है । माता वैष्णोदेवी के दर्शन करने के लिए भक्त कटरा से १४ किलोमीटर की यात्रा करते है और कटरा जम्मू से लगभग ५० किलोमीटर की दुरी पर है । माँ वैष्णो देवी अपने भक्त के सारे दुःख दूर करती है ।
चामुंडा देवी मंदिर
चामुंडा मंदिर हिमाचल प्रदेश में बाड़गंगा (बंकर) नदी के किनारे पर स्थित एक प्राचीन मंदिर है । ये देवी मंदिर ५१ शक्तिपीठो में से एक शक्तिपीठ में से है । ऐसा माना जाता है की इस मंदिर में भगवान शिव और शक्ति का वास है । चामुंडा देवी मंदिर के पास भगवन शिव विराजमान है जिन्हें नन्दिकेश्वर के नाम से जाना जाता है । नवरात्रि पर इस मंदिर में बहुत लोग दर्शन करने के लिए दूर दूर से आते है और माँ चामुंडा देवी उनकी मनोकामना पूरी करती है ।
मनसा देवी मंदिर
मनसा देवी मंदिर अत्यंत प्रसिद्ध मंदिर माना जाता है । यह मंदिर उत्तराखंड के हरिद्वार के पास है । मनसा देवी के उत्पत्त्ति ऋषि कस्यप के मन से हुई थी । इस मंदिर के बारे में ऐसा बताया जाता है कि मंदिर के दर्शन करने के बाद भक्त एक पेड़ पर धागा बांधते है और अपने लिए माँ मनसा देवी से कुछ मांगते है और माँ उनकी मनोकामना पूरी करती है । मनोकामना पूरी होने के बाद उसी पेड़ से एक धागा खोला जाता है ।
कनक दुर्गा मंदिर
कनक दुर्गा मंदिर आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में स्थित है । ऐसा माना जाता है कि अर्जुन ने इसी पहाड़ी पर भगवन शिव की तपस्या की थी । अर्जुन की तपस्या से खुश होकर भगवन शिव ने पाशुपतास्त्र प्रदान किया था । इस मंदिर के बारे में ये भी कहा जाता है की यहाँ पर देवी की प्रतिमा स्वतः ही प्रकट हुई थी इसलिए इस मंदिर को बहुत माना जाता है ।
ज्वाला देवी मंदिर
ज्वाला देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में कालीधर पहाड़ी के बीच स्थित है । देवी का ये मंदिर ५१ शक्तिपीठो में से एक शक्तिपीठ माना जाता है । शक्तिपीठ एक ऐसे स्थान का नाम है जहा भगवन विष्णु के चक्र से कटकर माता सती के अंग गिरे थे । ऐसा बताया जाता है की इस स्थान पर सटी की जिहवा गिरी थी , इसलिए इस मंदिर को ज्वाला देवी के मंदिर के नाम से जाना जाता है और बहुत संख्या में लोग यहाँ दर्शन करने के लिए आते है ।
नैना देवी मंदिर
नैना देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित है । ऐसा बताया गया है कि यहाँ पर सती के शक्ति रूप की पूजा की जाती है । ये मंदिर पहाड़ियों पर स्थित एक भव्य मंदिर है और एक शक्तिपीठ के रूप में माना जाता है । ऐसा बताया गया है की इस स्थान पर माता सती के नेत्र गिरे थे इसलिए इस मंदिर को नैना देवी के नाम से जाना जाता है । नैना देवी मंदिर हिंदू के पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है ।
चिंतपूर्णी धाम
चिंतपूर्णी धाम हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में स्थित है । ये धाम हिन्दू के धार्मिक स्थलों में से एक है और एक शक्तिपीठ के रूप में माना जाता है । बताया जाता है कि यहाँ पर माता सती के चरण गिरे थे जबसे इस स्थान को चिंतपूर्णी धाम के नाम से जाना जाता है । यहाँ पर बहुत दूर दूर से लोग माता के दर्शन करने के लिए आते है ।
कामाख्या देवी मंदिर
कामाख्या देवी मंदिर असम में नीलांचल पर्वत पर स्थित है । ये भी एक शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है और माता के सभी शक्तिपीठो में से इस शक्तिपीठ को मुख्य माना जाता है क्योंकि इस स्थान पर माता सती का गुहवा मतलब योनि भाग गिरा था जिससे कामाख्या महापीठ का जन्म हुआ । इस स्थान पर माँ भगवती की महामुद्रा ( योनिकुंड ) स्थित है ।
कालीघाट मंदिर
माता दक्षिणेश्वर काली मंदिर कोलकाता में देवी का प्रसिद्ध मंदिर है । यह मंदिर कालीघाट के नाम से भी जाना जाता है । इस जगह को भी एक शक्तिपीठ माना जाता है क्योंकि इस जगह पर माता सती के दायें पाँव की उंगलिया गिरी थी । यहाँ माँ काली के प्रचंड रूप के दर्शन होते है । यहाँ पर पूरी विधि और विधान से माता काली की पूजा की जाती है ।
तारा तारिणी मंदिर
तारा तारिणी मंदिर उड़ीसा में बहरामपुर के पास एक पहाड़ी पर स्थित एक भव्य प्राचीन मंदिर है । यह मंदिर २ देवियो तारा और तारिणी को समर्पित करता है । इस मंदिर को एक खास मंदिर माना जाता है क्योंकि इस मंदिर के चारो दिशाओं में एक एक शक्तिपीठ है । इस मंदिर को भारत के आदिशक्ति पीठो के रूप में माना है । हजारो की संख्या में नियमित रूप से यहाँ दर्शन करने के लिए आते है और माँ का आशिर्वाद लेते है ।