जैसे जैसे दीपावली का त्यौहार नजदीक आ रहा है, वैसे वैसे ही दियों, पटाखों और मिठाइयों का बाजार भी गर्म होता जा रहा है | पर दिवाली सिर्फ इतनी सी नहीं है, ये तो पूरे 5 दिन का त्यौहार है | हम हमेशा से सिर्फ एक खास दिवाली वाले दिन के लिए उत्सुक रहते है पर उसके अलावा भी कुछ ऐसे त्यौहार है जो उसके ठीक आगे पीछे मनाये जाते हैं | तो आइये जाने उन त्योहारों के बारे में |
1. धनतेरस :
देवताओं और दानवों के बीच हुए समुद्र मंथन से माँ लक्ष्मी का जन्म हुआ था | माँ लक्ष्मी के पश्चात हाथ में अमृत कलश लिए भगवान् धन्वन्तरी का जन्म हुआ | जैसा की माँ लक्ष्मी धन की देवी है और उन्हें लम्बे समय तक अपने अधिग्रहण में रखने के लिए हमें दीर्घ और स्वस्थ जीवन की जरूरत है | इसीलिए हम दिवाली से पहले भगवान् धन्वन्तरी की पूजा करते है और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं | चूंकि भगवान धन्वन्तरी कलश के साथ उत्पन्न हुए थे इसीलिए धनतेरस के दिन बर्तन खरीदने का चलन है |
2. नरक चतुर्दशी :
नरक चतुर्दशी दिवाली से ठीक एक दिन पहले मनाई जाती है | इसी वजह से भारत के ज्यादातर हिस्सों में इसे छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है | नरक चतुर्दशी आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है | ऐसी मान्यता है की आज के दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर नाम के असुर का वध किया था | आज के दिन रात्रि में कूड़े के ढेर पर दीप जलने का विधान है | ऐसा करने से अंधकार का अंत होता है और प्रकाश का विस्तार होता है |
3. दीपावली :
दीपावली हिन्दू धर्म में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा त्यौहार है | इस त्यौहार को पूरे भारतवर्ष में बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाता है | हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है की आज के ही दिन भगवान श्री राम माता सीता और लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष का वनवास ख़त्म करके अयोध्या वापस आये थे | इसी ख़ुशी में सारे अयोध्यावासियों ने नगर भर में दीपमालाये सजायी और मंगल गीत गाये | अभी इस आधुनिक समय में जहाँ दीयों की जगह झालर और इलेक्ट्रॉनिक सामानों ने ले ली है पर फिर भी हमारे दिल में दीपावली को लेके श्रद्धा और विश्वास का स्टार पहले जैसा ही है |
4. गोवर्धन पूजा :
दीपावली की अगली सुबह गोवर्धन पूजा की जाती है। लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। इस त्यौहार का भारतीय लोकजीवन में काफी महत्व है। इस पर्व की अपनी मान्यता और लोककथा है। गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गायों की पूजा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उसी प्रकार पवित्र होती जैसे नदियों में गंगा। गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है। देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख समृद्धि प्रदान करती हैं उसी प्रकार गौ माता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं।
5. भैया दूज :
हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं के अनुसार, भैया दूज का हिंदू धर्म में बहुत मूल्य और महत्व है। हिंदू धर्म के लगभग सभी त्यौहार और प्रथाएँ किसी न किसी विशेष चरित्र और आदर्श से जुड़े हैं जो उनके मनाए जाने को सही ठहराते हैं और लोगों को उनके महत्व को समझाने में मदद करते हैं। रोशनी के जगमगाते त्यौहार दीवाली की तमाम भव्यता के बाद, पांच दिनों के दीपावली उत्सव के आखिरी दिन भारत भर में ’भैया दूज’ मनाया जाता है जो कि भाई बहन के प्यार का प्रतीक है। भैया दूज शुक्ल पक्ष में आता है। शाब्दिक अर्थों में ’भैया’ यानी भाई और ’दूज’ का अर्थ है नए चंद्रमा के उदय के बाद का दूसरा दिन, जिस दिन ये उत्सव मनाया जाता है।