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Ganesha Short stories: The birth of Kaveri river



Ganesha Short stories: The birth of Kaveri river 

कावेरी दक्षिण भारत की एक प्रसिद नदी है. उसकी जन्म की कहानी भगवान् गणेश की महानता की कहानियों में से एक है.
पुराने समय की बात है, सुरपद्मं नामक एक दैत्य तीनो लोको में राज करता था. उसने तीनो लोको पर राज्य करा हुआ था और देवो को अपना बंदी बनाया हुआ था. भगवान् इंद्र भी उनके बंदी थे इस बात का उनको गर्व था. भगवान् इंद्र इस बेइजत्ती से परेशान थे और एक दिन मौका देखकर वो वहां से भाग गए और  सिरकाज़ी पहुचे। उन्होंने वहां एक बाग़ बनाकर भगवान् शिव की प्रार्थना करने की योजना बनाई क्योंकि इंद्र को विश्वास था की भगवान् शिव ही उनकी मदद कर सकते है.


सुरपद्मं को जब पता चला तो उसे बहुत बुरा लगा और उसने अपनी जादुई शक्ति से पता चला कि भगवान् शिव की मदद ले रहे है भगवान् इंद्र। उसने अपनी शक्तियों से इंद्र और उस जगह के लोगो को परेशान करने की योजना बनाई। उसने अपने बंधक भगवान् वरुण को आदेश दिया कि दक्षिण भारत में वर्षा नहीं होनी चाहिए। भगवान् वरुण के पास उसकी आज्ञा मानने के अलावा कोई चारा नहीं था. दक्षिण भारत में बारिश  हो गई और कुछ समय बाद वहां सुखा पड़ गया. पेड़ पौधे जीव जंतु सूखे के कारण मरने लगे. वहां के लोग बहुत परेशान हो गए.  तभी मुनि अगस्त का दक्षिण की तरफ आना हुआ और उन्हें वहां के सूखे का अहसास हुआ.उन्होंने लोगो की मदद करने के लिए ब्रह्ना जी से प्रार्थना करनी शुरू करी. भगवान् ब्रह्मा उनकी भक्ति से प्रसन्न हुए और उन्होंने अगस्त मुनि से भगवान् शिव से कुछ गंगा का पानी मांगने को कहा जिससे एक नई नदी बनाकर इस समस्या का समाधान होगा। मुनि अगस्त ब्रह्मा जी को धन्यवाद देकर कैलाश पहुचे भगवान् शिव के पास. भगवान् शिव से उन्होंने प्रार्थना करी तो शिव जी ने उन्हें गंगा का पानी उनके कमंडल में दे दियाऔर दक्षिण में जाकर उस पानी को डालने के लिए कहा की जहाँ भी पानी डालोगे वहां नयी नदी का जन्म होगा. अगस्त मुनि भगवान् शिव को धन्यवाद देकर दक्षिण की तरफ निकल गए और सही जगह ढूढने लगे जगह से नदी शुरू की जा सके पर कई दिन बीत गए पर उन्हें कोई ऐसी जगह नहीं मिली. भगवान गणेश ये सब देख रहे थे. भगवान् गणेश को लगा की उन्हें इसमें मदद करनी चाहिए और वो पर्याप्त समय का इंतज़ार करने लगे. जब मुनि अगस्त कुर्ग पहुचे वो थक चुके थे. अपना कमंडल रखकर वो आराम करने लगे तभी एक कौवा उनकी तरफ आया और कमंडल गिरा दिया. सारा पानी चारो तरफ फ़ैल गया. वो कौवे पर  गुस्सा करने लगे की तभी बिजली कड़की और भगवान् गणेश प्रगट हुए और  हो गया।  भगवान् गणेश ने बताया की मैंने ये सिर्फ यहाँ नदी शुरू करने के लिए किआ है. अगस्त मुनि वहां का नज़ारा देखकर आश्चर्यचकित गए. सारे सूखे की जगह हरयाली थी. वहां कमंडल से निकला हुआ थोड़ा सा पानी नदी में  बदल चूका था  और वो दूर दूर तक फैलता जा रहा था. उस  कावेरी का जन्म हुआ।  जय गणेशा।।।।।।।।।



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