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भारत के कौन से मंदिर में आयी विश्व की ये 2 बड़ी हस्तियाँ ?



काँची धाम आश्रम :

काँची धाम आश्रम उत्तराखंड के कुमाओं पर्वत पर स्थित है | यह मंदिर नैनीताल से 38 कि.मी. दूर है | बाबा नीम करोली की प्रेरणा से ये मंदिर सन 1964 में स्थापित हुआ था | यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए हमेशा से ही आध्यात्म और योग की एक तपोभूमि रहा है | यहाँ ना सिर्फ देश के अपितु कितने जी विदेशी यात्री भी दर्शन और मन की शांति के लिए आते हैं | इस मंदिर से जुड़ी एक दिलचस्प बात यह भी है की ये मंदिर विश्व के 2 बहुत ही बड़े नामों
को उनकी अलसी पहचान दिलाने में अहम रहा है | आइये जाने उन दोनों विभूतियों के नाम |

 Steve jobs and Mark Zukerberg visited same temple

स्टीव जॉब्स :

आज के समय की तकनीकी क्रांति के जनक और Apple Inc. के संस्थापक जिसके द्वारा बनाये गए स्मार्टफ़ोन आज सारी दुनिया पर धूम मचा रहे है को कौन नहीं जनता | पर क्या आपको पता है की स्टीव जॉब्स अपनी इस सफलता का श्रेय किसे देते है ?

 Steve jobs and Mark Zukerberg visited same temple


बात 1974 की है जब स्टीव अपने कॉलेज में थे | उन्हें कॉलेज में पढ़ने और पढ़ाने का तरीका सिर्फ एक खानापूर्ति लगता था जहाँ कुछ भी नया नहीं था ना ही सृजनात्मक | उन दिनों उन्होंने अपने बचाए हुए कुछ पैसों से भारत आने का इरादा किया | वो अपने एक कॉलेज मित्र के साथ भारत 'नीम करोली बाबा' से मिलने आये जो की उत्तराखंड में वास करते थे | जब वो उत्तराखंड पहुंचे उससे कुछ समय पूर्व ही 'नीम करोली बाबा' का देहावसान हो चुका था | अब उन्होंने भारतीय सभ्यता और आध्यात्म की तरफ अपना रुझान किया | वो एक बौद्ध भिक्षु के संपर्क में आये और उन्होंने गीता भी पढ़ी | इस घटना के बाद उनका पूरा जीवन बदल गया | वो जब भारत से लौटने लगे तब उन्होंने पूरी तरह से बौद्ध धर्म अपना लिया था और अपना सर भी मुंडवा लिया | वो भारतीय परिधान पहन के अपने देश वापस गए | अगले तीन साल में ही उन्होंने अपनी कंपनी की स्थापना की जिसने आज पूरे विश्व में अपनी धाक जमा रखी है |

मार्क जुकरबर्ग :

आजकल हम सब फेसबुक से परिचित हैं | युवा वर्ग के जीवन का एक बहुत ही बड़ा हिस्सा फेसबुक पर बीतता है | फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग किसी परिचय के मोहताज नहीं | उनकी इस कृति की वजह से आज करोड़ो लोग एक दुसरे से इतनी आसानी से जुड़े हुए हैं | हम सब उनकी इस कामयाबी को तो हमेशा ही याद रखते है पर कभी इस सफकता के पीछे के प्रेरणास्रोत के बारे में जानना चाहा ?

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2008 में फेसबुक अपने सबसे मंद समय से गुजर रहा था तब उस समय मार्क काफी उदासी, दबाव और विभिन्न अवसादों से घिरे हुए थे | अपने किसी दोस्त के सुझाव पर उन्होंने भारत यात्रा का मन बनाया | मार्क भी उत्तर भारत आये और यहाँ आकर योग और आध्यात्म का अभ्यास किया | मार्क भी उसी मंदिर के दर्शन करने गए जहाँ स्टीव गए थे | इस मंदिर का नाम काँची धाम है और ये उत्तराखंड में स्थित है |



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