बचपन से हम यही सुनते आ रहे हैं की जब भगवान श्री राम लंकापति रावण पर विजय प्राप्त कर के अयोध्या लौटे थे तब उस ख़ुशी में अयोध्यावासियों ने सारे नगर में दीप जालाये और मंगल गीत गाये, जिसे हम आज के सन्दर्भ में दिवाली के नाम से जानते हैं | परन्तु हर युग में दिवाली मनाने का अलग कारण रहा है | तो आइये आपको हम उन 8 कारणों के बारे में बताते है जिसकी वजह से हम अज भी दिवाली मनाते है |
1. दिवाली के दिन ही माँ लक्ष्मी का जन्म हुआ था :
माँ लक्ष्मी का जन्म कार्तिक मास की अमावस्या को हुआ था | ये वही तिथि है जिस पर हम दिवाली का त्योहार मनाते हैं | हमारे पुराण इस बात का प्रमाण देते हैं की समुद्र मंथन के दौरान माँ लक्ष्मी का पृथ्वी पर जन्म हुआ | इसी वजह से हम दिवाली के दिन माँ लक्ष्मी की पूजा करते है |
2. भगवान विष्णु ने बचाया था माँ लक्ष्मी को :
भगवान् विष्णु ने अपने पाँचवे अवतार वामन स्वरुप मे आकर माँ लक्ष्मी को राजा बलि के बंदी गृह से मुक्त करवाया था | माँ लक्ष्मी के राजा से मुक्त होते ही सरे नगर में हर्षौल्लास का महाल था | इसीलिए हम आज भी ठीक उसी हर्षौल्लास के साथ दिवाली मनाते हैं |
3. नरकासुर वध :
दिवाली से एक दिन पहले भगवान श्री कृष्ण ने माँ कलि और सत्यभामा की सहायता से एक दुष्ट असुर नरकासुर का वध किया था | नरकासुर ने 16000 स्त्रियों को अपना बंदी बना रखा था | उसके वध के पश्चात भगवान् ने सभी स्त्रीयों को मुक्त कर दिया जिसके उप्ल्यक्ष में नगरवासियों ने अगले दिन दीप जलाये और गीत गाये |
4. पांडवों की वापसी :
हिन्दू धर्म के सबसे बड़े और रोचक ग्रंथो में से एक महाभारत में इस बात का वर्णन मिलता है की जब पांडवो ने अपना 12 वर्ष का अज्ञातवास ख़त्म किया था जो उन्हें द्युत क्रीड़ा में हारने की वजह से जाना पड़ा था और वो वापस अपने राज्य लौटे थे तब कार्तिक मास की अमावस्या थी | उनकी राज्य वापसी पर सारे नगर में दीप जलाये गए थे और सारा नगर सजाया गया था |
5. विक्रमादित्य का राज तिलक :
भारतवर्ष के इतिहास में सबसे सफल सम्राट में से विक्रमादित्य एक हैं | दिवाली के दिन ही उनका राजतिलक किया गया था और उन्हें पूरे भारत का कार्यभार सौपा गया था | ये आध्यात्मिक होने से ज्यादा एतिहासिक तथ्य है |
6. आर्य समाज के लिए विशेष दिन :
आज से कई वर्ष पूर्व दिवाली के दिन ही आर्य समाज के एक बहुत बड़े सुधारक महर्षि दयानंद को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी |
7. जैन अनुयाईयों के लिए विशेष दिन :
महावीर तीर्थंकर जिन्हें हम नवीन जैन धर्म का जनक कहते हैं उन्हें कार्तिक माह की अमावस को ही निर्वाण की प्राप्ति हुई थी | महावीर तीर्थंकर की प्रेरणा से कितने ही जैन धर्म में विश्वास रखने वाले लोगों ने अपने जीवन में सफलता हासिल की | इसीलिए दिवाली जैन अनुयाईयो के लिए इतनी महत्वपूर्ण है |