Diwali 2016

क्या आपको पता है छोटी दिवाली के पीछे की बड़ी कहानी? | Do you know the big story behind Choti Diwali?



बचपन में दिवाली से ठीक एक दिन पहले हम अपनी खरीदी हुई पटाखों की पोटली से थोड़े से पटाखे निकाल कर जलाते थे | जितनी बेताबी दिवाली के लिए होती थी उतना ही इंतज़ार इस एक दिन पहले आने वाली दिवाली का भी होता था | बचपन में तो आप सब ने इस दिन को छोटी दिवाली के नाम से जाना होगा पर असल में इस दिन का क्या महत्व है और इस दिन किस देव/देवी की पूजा होती है हममे से बहुत से लोगों को नहीं पता | तो आइये आज जानते है छोटी दिवाली के पीछे की बड़ी कहानी |


हम छोटी दिवाली मनाते हैं या नरक चतुर्दशी ?

उम्र की अलग-अलग ऊंचाईयों पर हमारे लिए त्योहारों का अर्थ और महत्व अलग-अलग रहता है | जैसा की बचपन में, जब हम सिर्फ पढ़ते और खेलते थे तब छोटी दिवाली का मतलब सिर्फ पटाखे और मिठाइयाँ था | जैसे जैसे हम बढ़ते गए छोटी दिवाली का बड़ा मतलब नरक चतुर्दशी होता है ऐसा पता चलने लगा | इसी वजह से भारतवर्ष में जहाँ छोटे और विद्यार्थी वर्ग के बच्चे होते है वहां उनके बीच ये त्योहार अभी भी छोटी दिवाली के नाम से जाना जाता है |


क्या महत्व है नरक चतुर्दशी का ? 

नरक चतुर्दशी का विवरण हमें कई हिन्दू पौराणिक कथाओं में मिलता है | इन कथाओं के अनुसार आश्विन मास की कृष्ण पक्ष के चौदहवें दिन माँ काली ने भगवान कृष्ण की सहायता से एक दुष्ट असुर नरकासुर का वध किया था | इस वजह से इस दिन का नाम नरक चतुर्दशी पड़ा | भारत के कुछ हिस्सों में नरक चतुर्दशी को काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है | इस दिन माँ काली या देवी शक्ति की उपासना करनी चाहिए | नरक चतुर्दशी को अंधकार और आलस्य को नष्ट करने के रूप में मनाया जाता है, जिस वजह से आज के दिन हम महाकाल की भी आराधना कर सकते है |


तो कैसे करें नरक चतुर्दशी के दिन पूजा अर्चना ? 

भारत के विभिन्न हिस्सों में नरक चतुर्दशी की पूजा विभिन्न तरीकों से की जाती है | पर फिर भी हम आपसे एक अतिसरल, सामान्य और सबसे असरदार पूजन विधि साझा कर रहे है |


1. सर्वप्रथम नरक चतुर्दशी के दिन आप रोज की तुलना में प्रातः ही उठ जाएँ |
2. स्नान करें और अपने केश अवस्य धुले |
3. स्नान के पश्चात अपने आँखों में काजल भरे, ये आपको बुरी नज़र से बचाएगा और अपनी कुल देवी या देवता का ध्यान करें |
4. ध्यान के बाद आप महाकाल या माँ शक्ति की पूजा करे |
5. तेल, फूल, चन्दन, गुड़ और तिल और पोहा भगवान को प्रशाद स्वरुप अर्पण करें |
6. सांयकाल में अपने घर के उन हिस्सों में दीप जालाये जो ज्यादातर समय अँधेरे में रहते है |

इस प्रकार की गयी पूजा से दिवाली पर आप माँ लक्ष्मी को निश्चित ही प्रसन्न कर सकते है | सब मंगल-मंगल हो |



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