बचपन में दिवाली से ठीक एक दिन पहले हम अपनी खरीदी हुई पटाखों की पोटली से थोड़े से पटाखे निकाल कर जलाते थे | जितनी बेताबी दिवाली के लिए होती थी उतना ही इंतज़ार इस एक दिन पहले आने वाली दिवाली का भी होता था | बचपन में तो आप सब ने इस दिन को छोटी दिवाली के नाम से जाना होगा पर असल में इस दिन का क्या महत्व है और इस दिन किस देव/देवी की पूजा होती है हममे से बहुत से लोगों को नहीं पता | तो आइये आज जानते है छोटी दिवाली के पीछे की बड़ी कहानी |
हम छोटी दिवाली मनाते हैं या नरक चतुर्दशी ?
उम्र की अलग-अलग ऊंचाईयों पर हमारे लिए त्योहारों का अर्थ और महत्व अलग-अलग रहता है | जैसा की बचपन में, जब हम सिर्फ पढ़ते और खेलते थे तब छोटी दिवाली का मतलब सिर्फ पटाखे और मिठाइयाँ था | जैसे जैसे हम बढ़ते गए छोटी दिवाली का बड़ा मतलब नरक चतुर्दशी होता है ऐसा पता चलने लगा | इसी वजह से भारतवर्ष में जहाँ छोटे और विद्यार्थी वर्ग के बच्चे होते है वहां उनके बीच ये त्योहार अभी भी छोटी दिवाली के नाम से जाना जाता है |
क्या महत्व है नरक चतुर्दशी का ?
नरक चतुर्दशी का विवरण हमें कई हिन्दू पौराणिक कथाओं में मिलता है | इन कथाओं के अनुसार आश्विन मास की कृष्ण पक्ष के चौदहवें दिन माँ काली ने भगवान कृष्ण की सहायता से एक दुष्ट असुर नरकासुर का वध किया था | इस वजह से इस दिन का नाम नरक चतुर्दशी पड़ा | भारत के कुछ हिस्सों में नरक चतुर्दशी को काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है | इस दिन माँ काली या देवी शक्ति की उपासना करनी चाहिए | नरक चतुर्दशी को अंधकार और आलस्य को नष्ट करने के रूप में मनाया जाता है, जिस वजह से आज के दिन हम महाकाल की भी आराधना कर सकते है |
तो कैसे करें नरक चतुर्दशी के दिन पूजा अर्चना ?
भारत के विभिन्न हिस्सों में नरक चतुर्दशी की पूजा विभिन्न तरीकों से की जाती है | पर फिर भी हम आपसे एक अतिसरल, सामान्य और सबसे असरदार पूजन विधि साझा कर रहे है |
1. सर्वप्रथम नरक चतुर्दशी के दिन आप रोज की तुलना में प्रातः ही उठ जाएँ |
2. स्नान करें और अपने केश अवस्य धुले |
3. स्नान के पश्चात अपने आँखों में काजल भरे, ये आपको बुरी नज़र से बचाएगा और अपनी कुल देवी या देवता का ध्यान करें |
4. ध्यान के बाद आप महाकाल या माँ शक्ति की पूजा करे |
5. तेल, फूल, चन्दन, गुड़ और तिल और पोहा भगवान को प्रशाद स्वरुप अर्पण करें |
6. सांयकाल में अपने घर के उन हिस्सों में दीप जालाये जो ज्यादातर समय अँधेरे में रहते है |
इस प्रकार की गयी पूजा से दिवाली पर आप माँ लक्ष्मी को निश्चित ही प्रसन्न कर सकते है | सब मंगल-मंगल हो |