दिवाली के ठीक अगले दिन गोवेर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है । हमारे भारत वर्ष में दिवाली का त्यौहार बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है । हमारे यहाँ जितने भी त्यौहार मनाये जाते है , उनका कुछ ना कुछ पौराणिक कारण होता है ।
गोवेर्धन पूजा पर्व कब मनाया जाता है । When we celebrate Goverdhan Pooja
गोवेर्धन पूजा पर्व दिवाली के अगले दिन कार्तिक मास की शुक्ल पछ की प्रीतिपदा को मनाया जाता है । लोग इस दिन को अनकूट के नाम से भी जानते है । गोवेर्धन पूजा भगवान कृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से प्रारम्भ हुई और अभी तक चलती आ रही है ।
क्या आप जानते है गोवेर्धन पूजा का पर्व क्यों मनाई जाता है । Do you Know why we Celebrate Goverdhan Pooja
गोवेर्धन पूजा व्रजवासियो का मुख्य त्यौहार है । एक बार भगवान श्रीकृष्ण अपने साथियो के साथ गोवेर्धन पर्वत की तरफ जा रहे थे । वहाँ उन्होंने देखा कि सब लोग नाचकर खुशियां माना रहे है तो उन्होंने ख़ुशी का कारण पूछा तब गोपियो ने बताया की आज देव इंद्र का पूजन किया जायगा क्योंकि पूजा से प्रसन होकर वो वर्षा करते है जिससे अन्न पैदा होता है और व्रजवासियो का पोषण होता है । ऐसा सुनने के बाद श्रीकृष्ण ने गोवेर्धन पर्वत को अधिक शक्तिशाली बताया और बोला कि हमे गोवेर्धन की पूजा करनी चाहिए तो ऐसा सुनकर सब गोवेर्धन पर्वत की पूजा करने लगे ।
जैसे की भगवान इंद्र को इस बात की सुचना मिली तो उन्होंने गोकुल में भारी बारिश करने की आज्ञा दे दी । अब भारी बारिश से परेशान होकर गोकुलवासी कृष्ण की शरण में आये और रक्षा करने के लिए बोला । ऐसा सुनकर श्रीकृष्ण ने सबको गोवेर्धन पर्वत शरण में जाने के लिए बोला । और भगवान श्री कृष्ण ने गोवेर्धन पर्वत को अपनी एक उंगली पर उठा लिया और सभी गोकुलवासियों को बचा लिया ।
ऐसा चमत्कार देखकर इंद्रदेव ने श्री कृष्ण से छमा मांगी । श्री कृष्ण ने व्रजवासियो से कहा कि आज के बाद सब लोग प्रतिवर्ष गोवेर्धन की पूजा करो और अनकूट का पर्व मनायो । तभी से लेकर आज तक यह पर्व गोवेर्धन पूजा के रूप में मनाया जाता है ।
कैसे मनाये गोवेर्धन पूजा । How we Celebrate Goverdhan Pooja
गोवेर्धन पूजा पर्व का बहुत ही ज्यादा महत्व है । यह त्यौहार किसानों में बहुत ही ढंग से मनाया जाता है । इस दिन गाय, बैल और पशुओं को माला पहनाकर उनकी पूजा की जाती है । इस दिन गो माता की पूजा करना अच्छा मन माना जाता है ।
गोवेर्धन पूजा वाले दिन घर घर के आँगन में गाय के गोबर का गोवेर्धन पर्वत की प्रतिमा बनाये । पूरी विधि - विधान से गोवेर्धन पर्वत की पूजा करे और गोवेर्धन पर्वत की परिक्रम्मा लगाए ।
गोवेर्धन वाले दिन भगवान कृष्ण के लिए तरह तरह का पकवान और अनकूट बनाया जाता है और श्रीकृष्ण को छप्पन भोग लगाया जाता है । अनकूट के प्रसाद को वितरित करके खाया जाता है ।
जाने गोवेर्धन पूजा का शुभ समय । Goverdhan Pooja Mahurat 2016
इस वर्ष गोवेर्धन पूजा का पर्व ३१ अक्टूबर २०१६ दिन सोमवार को मनाया जायगा । अब गोवेर्धन पूजा का शुभ समय जान लेते है कि किस समय करे पूजा ।
गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त = ०६:३५ से ०८:४७
गोवर्धन पूजा सायंकाल मुहूर्त = १५:२० से १७:३२
हमारे मंगलमूर्ति परिवार की तरफ से दिवाली और गोवेर्धन पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं । आपका दिन मंगलमय हो । और अधिक जानकरी के लिए आप www.mangalmurti.in पर जा सकते है ।