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जानिये भाग्य और कर्म क्या है और क्या करे जिससे भाग्य परिवर्तन हो और सब मंगल हो



भाग्य और कर्म का अटूट बन्धन होता है । एक दूसरे के पूरक होते है ।भाग्य पूर्वजन्म के शुभ कर्मो से जुड़ा होता है । जैसे किसीने कभी एक आम का वृक्ष लगाया,कुछ समय बाद वो नही रहा, पर फल का जो भी आनन्द लेगा वो मन मै कभी तो कहेगा की जिसने भी वृक्ष लगाया उसने बहुत अच्छा किया । हम जो भी शुभ अशुभ करते हैं, वो हमे वापस 100 गुना होकर वापस मिल जाया करता हैं।

अच्छे भाग्य हेतु शुभ कर्म को किये जाना अत्यंत आवश्यक है । कभी कभी आपने देखा होगा हैं की एक पण्डित ,पुजारी, सन्त भगवान की दिन रात सेवा करता हैं, लेकिन उनके जीवन मै हर पल तकलीफ, कठिनाई, उलझन, अस्वस्थता आदि आती रहती है, वंही दूसरी और एक गुंडा, बदमाश, चोर ,आदि सब उलटा सीधा , झूठ आदि बोलकर भी खुशहाल जिंदगी बिताते है। हम भी कई बार जब हताश हो जाते हैं तो बोल उठते हैं की हमने तो किसी का कुछ बुरा नही किया ,फिर भगवान हमारी परीक्षा क्यों ले रहा है । बात सचमुच सोचनीय है ।

जानिये भाग्य और कर्म क्या है और क्या करे जिससे भाग्य परिवर्तन हो और सब मंगल हो

जानिये भाग्य और कर्म क्या है और क्या करे जिससे भाग्य परिवर्तन हो और सब मंगल हो 


दरअसल भाग्य एक बोया बीज होता हैं, जो शुभ कर्म करके बोओगे तो आने वाले जीवन मै आपके साथ चलता रहेगा, आज आप किसी का बुरा करके, किसी को धोखा देकर, छल कपट, नुकसान पँहुचाकर खुश अवश्य हो सकते हो,पर जो बीज आपने बो दिया, कल वही फसल आपको कांटे के रूप मै चुभना शुरू
हो जायगी ।

मै ये नही कहता की हम अच्छे कर्म पाने के लिये जीवन का सब कुछ सेवा मै लगा दे, अच्छे कर्म से मतलब हम किसी का अनजाने मे भी दिल नही दुखाये । यदि आपके सामने कोई भिखारी आता हैं, और आपके पास खुल्ले पैसे नही हैं या किसी चिंता मै हो, या मन नही कर रहा उसको देने का ,तो उसे मना कर दे, लेकिन उसे चिल्लाये, या भगाए नही ।

जब हम भगवान की पुजा, आराधना करते हैं तो इसका मतलब नही की भगवान आपको इसके बदले मै कुछ देने हेतु बाध्य हैं । हां ये जरूर हैं की ईश्वर हमे बारिश मै भीग रहे हो तो छाता अबश्य दे दिया करता हैं ।आपका भीगने से बचाव अवश्य होगा किन्तु बारिश नही रुक सकती ।किन्तु कुछ उपाय से हम भाग्य के करीब जाने मै सफलता प्राप्त कर सकते हैं। जब हम निस्वार्थ किसी की सेवा,मदद करते हैं तो ईश्वर चुपके से भाग्य रूपी फल हमारे जीवन के बगीचे मै बो देता हैं ।

शास्त्र कहता है कि भाग्य बड़ा प्रबल है, मगर पुरुषार्थ द्वारा भाग्य को को बदला जा सकता है। यानी जरुरत है दवा और दुआ के बीच तालमेल बैठाने की। अन्दर की ज्योति और बाहर की ज्योति दोनों काम करें तो बात बनती है। आंख में ज्योति हो और बाहर प्रकाश हो तो आंखें काम करती हैं। बाहर सूर्य निकला हो, मगर आंखों में ज्योति न हो तो अन्धेरा रहता है। फिर भी कहा गया अपनी तरफ से कोई कसर बाकी न रखें।

एक खास बात कुछ उन लोगो के लिये जो दिन रात अपने धर्म का गुणगान तो नही पर दूसरे धर्म का अपमान या अपशब्द लिखकर करते हैं । हर धर्म की अपनी महत्ता, अपने संस्कार हैं, आज सोशल मिडिया पर जंहा देखो एक दूसरे के भगवान,अल्लाह, गॉड, आदि के बिरुद्ध गलत छवि ,धर्म का दुष्प्रचार आदि किया जा रहा हैं । क्या आप जानते हो की जब हम किसी भी धर्म, या धर्म गुरु, सन्त,मुनि, आदि को गन्दा, गलत कहते हैं हमारे जीवन की सकारात्मक शक्ति जो हमारे भाग्य के रूप मै हमे मिलती है, क्षण भर मै हमसे दूर चली जाती हैं । आप अपने धर्म हेतु जो करना हैं करे, लेकिन किसी और धर्म को बुरा भला नही कहे।

आज जाते जाते एक उपाय बता रहां हूँ । ये प्रयोग हर पूर्णिमा को करना हैं, और आजमाया हुआ भी हैं। वृक्षों मै पीपल वृक्ष को देव वृक्ष कहा जाता हैं। पीपल की शक्ति के बारे मै पूरी चर्चा बाद मै करूँगा । आज के उपाय मै पूर्णिमा को सुबह 10 बजे ताँबे के लौटे मै जल, कुछ मिठाई,एक घी का दीपक लेकर पीपल वृक्ष के पास जाए, जल अर्पित कर, माँ लक्षमी का नाम जप कर भोग लगावे,और दीपक जलाकर माँ लक्षमी से घर मै आगमन हेतु प्रार्थना करे ।यदि सम्भव हो तो पीपल के नीचे बैठकर श्री सूक्त का पाठ या माँ लक्षमी जी का कोई मन्त्र पढ़े ।ध्यान रखे समय 10 बजे का ही हो ।कुछ समय बाद देखिये परिवर्तन आएगा । सब मंगल होगा।।




आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा ।



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