Hinduism

‘हमारी किस्मत के सितारे कब चमकेंगे’?



अपनी ज़िंदगी से संतुष्ट तो कोई नहीं होता। इंसान एक ऐसा प्राणी है जिसे कितना भी मिल जाए, कितनी ही संपत्ति, धन-दौलत या फिर खुशियां मिल जाएं, वह फिर भी ज्यादा की उम्मीद करता है। लेकिन कई बार सच में ऐसी स्थिति आती है जब हमें लगता है कि हमारे भाग्य ने काम करना बंद कर दिया है। जब सारी चीज़ें हमारी इच्छा से विरुद्ध चलने लगती हैं और हमें किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त नहीं होती तब हम मन ही मन सवाल करते हैं कि ‘हमारी किस्मत के सितारे कब चमकेंगे’?
हर कोई मन मै अक्सर यही सोचता है हमारा भाग्योदय कब होगा? वह दिन कब आएगा जब हम भी अपनी किस्मत पर नाज़ करेंगे? पर शायद ही कोई इस कामना को जीत पाता हैं, और अधिकतर इसको सोचते सोचते जिंदगी से चले जाते है ।

‘हमारी किस्मत के सितारे कब चमकेंगे’?

जैसा की आप जानते ही हो की जब कोई स्त्री अपनी शक्ति से यमराज को भी जीत लेती है, यंहा मै सावित्री की बात कर रहा हूँ , जिसने मृत्यु शैया पर पढ़े पति को यमराज से वापस छीन लिया था, तो क्या सम्भव नही है की एक स्त्री चाहे तो दुर्भाग्य को सौभग्य मै नही बदला जा सकता ?
एक कल्पना कीजिए की आपका किसी बैंक मै खाता है, आपकी रूपये निकालने की लिमिट 10 लाख तक है,अब यदि बैंक मेनेजर से आपके अच्छे सम्बन्ध हो ,और आप किश्त बराबर भरते हो, व्यवहार अच्छा रखते हो तो लिमिट 10 लाख से 20 लाख तक हो सकती है, वंही दूसरी और सम्बन्ध खराब होने पर, व्यवहार ठीक नही होने पर आपकी जायदाद तक बैंक बोली तक लगवा सकता हैं ।
इसी प्रकार आपको भगवान ने जन्म के समय कुछ भाग्य भी लिखकर दिया है, अब आपके और ईश्वर के सम्बन्ध कैसे है, क्या आप जरूरत पर ही भगवान को याद करते हो? क्या आप स्वार्थ हेतु ही भगवान को याद करते हो? क्या कार्य सफल होने पर आप भगवान को भूल जाते हो? क्या भगवान को आप एक नारियल, या कुछ प्रसाद तक ही सीमित रखते हो? भगवान की अहमियत आपकी जिंदगी मै क्या हैं?
दोस्तों, भगवान दिखाई नही देता,पर द्रोपदी के चीर की तरह उसका आशीर्वाद हम पर बना रहता है, ईश्वर की कोई डिमांड नही रहती, उसे कोई धन,दौलत, मिठाई, की आवश्यकता नही है, वो तो जल चढाने से प्रसन्न हो जाता हैं, वो घास चढाने से कामना पूरी कर देता है ।वो तो नग्न दिगम्बर रूप मे भी सभी त्याग कर भी खुश रहता हैं ।तो ये स्पष्ट हो गया की हम भी सोये भाग्य को बदल सकते है, 



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