जैन धर्म भारत का बहुत प्राचीन धर्मों से एक है जिसका मतलब है जिन द्वारा प्रवर्तित धर्म। जिन वो लोग होते है जिन्होंने अपने मन को जीत लिया हो, अपनी वाड़ी को जीत लिया हो और अपनी काया को जीत लिया हो। जैन धर्म जिन भगवान का धर्म माना जाता है। जैन धर्म में सृष्टिकर्ता भगवान को ज्यादा मानता नहीं दी गयी है अपितु जैन धर्म में अहिंसा को परम धर्म माना गया है। अपने मन से यह बात निकाल दे कि जैन धर्म हिन्दू धर्म से अलग है, अलग है तो दोनों धर्मो के दर्शन अलग है जबकि दोनों धर्म की संस्कृति एक है, कुल एक है, परम्परा एक है और दोनों धर्मो की मातभूमि एक है।
जैन धर्म की शुरुआत किसने की थी | Founder of Jain Religious
जैन धर्म की प्रादुर्भाव भगवान ऋषवदेव द्वारा हुआ था । ऐसा नहीं है कि जैन धर्म वाले लोग भगवान में विशवास नहीं रखते, ये भी भगवान की पूजा करते है । जैन धर्म में सबसे ज्यादा स्थान तो अहिंसा को ही दिया गया है और कुछ जैन धर्म के अनुयायी हुए है जिनके द्वारा जैन धर्म चलाया गया । जैन धर्म के २२वे तीर्थकर अरिष्ठ नेमिनाथ थे जो भगवान कृष्ण के चचेरे भाई थे।
भगवान ऋषवदेव और अरिष्ठ नेमिनाथ दोनों ने मिलकर जैन धर्म को आगे बढ़ाया । जैन धर्म के २३वें तीर्थकर पार्श्वनाथ हुए है जिनका जन्म काशी में हुआ था। जैन धर्म में भगवान कृष्ण की भी बहुत भूमिका रही है । भगवान महावीर भी पार्श्वनाथ समुदाय से ही है । ऐसा बताया जाता है कि जैन धर्म के २४वे तीर्थकर कृष्ण ही होंगे ।
जैन धर्म का सम्प्रदाय
भगवान महावीर के समय में जैन धर्म की एक ही संप्रदाय थी लेकिन ईसा की तीसरी सदी में जैन परंपरा दो भागो में विभाजित हो गयी थी - एक दिगम्बर और दूसरे श्वेताम्बर । जैन धर्म के मत के अनुसार दिगम्बर साधु वस्त्र नहीं पहनते है, ये हमेशा नग्र रहते है । दिगम्बर मत में तीर्थकर की प्रेतिमायें नग्र बनाई जाती है और कोई भी श्रृंगार नहीं किया जाता है बस ऐसे ही पूजा की जाती है । और जैन धर्म के दूसरे साधु जो की श्वेताम्बर हुए है जो कि सफेद वस्त्र धारण करते है । ऐसे अनुयायी तीर्थकर का श्रृंगार भी करते है और उनकी पूजा भी करते है।
क्या आप जैन धर्म के प्रमुख त्यौहार जानते है।
वैसे तो जैन धर्म हिन्दू धर्म के सभी त्यौहार भी मानते है, फिर भी जैन धर्म के कुछ अपने भी त्यौहार है जिन्हें ये पुरे हर्षउल्लास से मानते है । क्या आप जानना पसंद करोगे ऐसे त्यौहार के नाम:
- पंचकल्याणक
- दशलक्षण धर्म
- महावीर जयंती
- ऋषिपंचमी
- जैन धर्म में दीपावली
- ज्ञान पंचमी
पंचकल्याणक जैन धर्म का प्रमुख त्योहारों में से एक है यह पर्व आत्मा से परमात्मा बनने की प्रकिया का पर्व है। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य लोगो तक जैन तीर्थकर के संदेश भेजना है । पंचकल्याणक में पांच संस्कारो की चर्चा की गयी है जो इस प्रकार है - गर्भ पंचकल्याणक, जन्म कल्याणक, ताप कल्याणक, दीक्षा कल्याणक और मोछ कल्याणक।
पंचकल्याणक पर्व के साथ दशलक्षण पर्व भी बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है । दशलक्षण पर्व वर्ष में 3 वार मनाया जाता है। दशलक्षण पर्व के माध्यम से जैन धर्म के दस लछण को जाग्रत करने की कोसिश करते है जो इस प्रकार है -क्षमा, विनम्रता, माया का विनाश, निर्मलता, सत्य, संयम, तप, त्याग, परिग्रह का निवारण और ब्रह्मचर्य।