Hinduism

एक भगवान जो भक्तों के जैसे करता है गलतियाँ | Lord Shiva-The Destroyer



वो ओंकार हैं, योगी हैं, ज्ञानी है, सर्वज्ञ है, क्रोधी हैं, संहारक है | वो एक होकर भी अनेक है | वो बेलपत्र से ही खुश हो जाते हैं उन्हें कोई मोतियों का हार नहीं भाता | भांग और धतूरे जैसी तुच्छ सी भेंट से लालाहित हो उठते है वो | संसार रुपी शुन्य में वो एक की भांति जगमग हैं | वो संभालना भी जानते है और गिरना भी | उनमे किसी देवता जैसा गुण नहीं है पर उनमे मर्यादा और धर्म है | वो हम आप जैसे ही है जो कभी गलतियाँ करते हैं तो कभी लीलायें | जी हाँ आज हम बात कर रहे हैं देवों के देव महादेव की | उनको हमेशा ऐसा देवता कहा जाता है जो सामान्य मनुष्यों जैसा बर्ताव करते हैं | तो आइये आज आपको भगवान् शिव की एक अद्भुत लीला के बारे में बताते हैं |

अद्भुत कथा :

समुद्र मंथन से निकले विष को भगवान शिव ने इसलिए पिया था ताकि उस विष का प्रभाव धरती पर रह रहे प्राणियों पर ना पड़े | परन्तु भगवान् शिव के विष पीने के बाद भी धरती पर दिन प्रतिदिन अनाचार और बुराइयां बढती ही जा रही थी | भगवान् शिव इस बात का हल ढूढने कैलाश पर्वत पर चले गए जहाँ वो गहरे योग में डूब गए | इस अवस्था में माँ पार्वती अकेले रहने लगी | अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए उन्होंने अपनी तन की मेल से भगवान् गणेश का निर्माण किया |ये सब कुछ भगवान् शिव अपने ध्यान में देख रहे थे | गणेश अपने आप में बहुत ही बुद्धिशील और ज्ञानी थे और उनका जन्म इसीलिए हुआ था ताकि वो संसार में फैले अज्ञान को दूर कर सके |

पर भगवा शिव ने देखा की गणेश तो अपने ज्ञान पर दंभ भरने लगे और अज्ञानियों का उपहास करने लगे | भगवान् ने इसका एक हल ढूँढा | उन्होंने अपने ध्यान से उठने की जानकारी मन की तरंगो से माँ पार्वती को दी | ये जान कर माँ पार्वती स्नान करने गयी ताकि जब भी वो शिव से मिले तो एक सकारात्मक उर्जा से भरी हों | उन्होंने गणेश को स्नानगृह के द्वार पर लगाया  और आदेश दिया की वो किसी को भी अन्दर ना आने दे |
जब भगवान् शिव आये तब गणेश ने उन्हें अन्दर जाने से मन किया |


इसपर एक सामान्य पिता के जैसे क्रुद्ध होकर भगवान् शिव ने अपने त्रिशूल की प्रहार से गंसेश का सिर धड़ से अलग कर दिया |इस बात पर माँ पार्वती क्रुद्ध हो गयी और उन्होंने गणेश को फिर से जीवित करने को कहा | तब भगवान शिव ने एक हाथी का सिर भगवान गणेश के धड पर लगा दिया |और गणेश को एक सबक भी दिया की अपनी शक्ति के ऊपर कभी दंभ नहीं करते | ऐसे है प्रभु शिव हमारे |




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