आजकल शर्मा जी बहुत परेशान है | कारण वही की बेटा इतना बड़ा हो गया है , इंजीनियरिंग भी कर ली, एक बड़ी कंपनी मे नौकरी भी मिल गयी है, बैंक ने क्रेडिट कार्ड भी दे दिया है बस दिक्कत ये है की कोई सज्जन पिता नहीं मिल रहा जो अपनी सुशील कन्या को उनके सुपुत्र के साथ परिणय सूत्र में बंधने दे | पर ये समस्या सिर्फ शर्मा जी के साथ नहीं है इस दिक्कत को तो देवों के देव महादेव ने भी झेला है | जी हाँ भगवान शिव के भी पुत्रों का विवाह इतनी आसानी से नहीं हुआ | भगवान गणेश की शादी का ये अनोखा किस्सा आपको नहीं पता होगा | तो आइये पढ़िए यहाँ |
क्या था शादी ना होने का कारण:
गणेश जी के गजानन स्वरुप की वजह से कोई भी पिता अपनी कन्या के विवाह के लिए गणेश जी को उपयुक्त नहीं समझते थे | उनके गज के शीश, गोल से निकले पेट और चूहे की सवारी की वजह से हर कोई उनसे शादी करने से मना कर देता था | इस बात भगवान शिव और माता पार्वती भी परेशान रहने लगीं | पौराणिक ग्रंथो में ऐसा भी पढ़ने को मिलता है की जब गणेश जी की शादी कहीं भी नहीं हो रही थी तो उन्होंने और लोगों की शादी विध्वंस करना शुरू कर दिया | वो हर किसी की शादी में अपने मूषकराज को भेज देते थे और मूषकराज वहां सब कुछ कुतर दिया करते | इन सब बातों को देखकर माँ पार्वती को एक युक्ति सूझी |
किसकी होगी पहले शादी ?
कार्तिकेय और गणेश में किसकी शादी पहले होगी इस बात को लेके हमेशा खीचातानी मची रहती थी | इस समस्या के समाधान के लिए माँ पार्वती ने दोनों लोगों को अपने पास बुलाया और कहा की किसकी शादी पहले होगी ये हम एक प्रतियोगिता के माध्यम से निश्चय किया | प्रतियोगिता ये थी की उन दोनों में से जो कोई भी धरती का सबसे पहले चक्कर लगाकर आएगा उसी की शादी सबसे पहले होगी | प्रतियोगिता के बारे में सुनते ही कार्तिकेय अपने मोर पर बैठे और धरती का चक्कर काटने निकल गए | पर गणेश जी ने कैलाश पर्वत पर ध्यान में लीन बैठे भगवान् शिव और उनके बगल में बैठी माँ पार्वती के ७ चक्कर लगाये और खड़े हो गए |
जब कार्तिकेय धरती का चक्कर लगाकर लौटे तब उन्होंने गणेश को वही खड़े देखा | ये देख उन्हें प्रसन्नता हुई | जब माता पार्वती ने गणेश से पूछा की तुमने पृथ्वी का चक्कर क्यों नहीं लगाया तब उन्होंने उत्तर दिया की "किसी भी पुत्र के लिए उसके माता पिता ही उसका संसार है" | ये उत्तर सुनकर महादेव और पार्वती प्रसन्न हो गये और गणेश को प्रतियोगिता का विजेता घोषित किया |
जब कार्तिकेय धरती का चक्कर लगाकर लौटे तब उन्होंने गणेश को वही खड़े देखा | ये देख उन्हें प्रसन्नता हुई | जब माता पार्वती ने गणेश से पूछा की तुमने पृथ्वी का चक्कर क्यों नहीं लगाया तब उन्होंने उत्तर दिया की "किसी भी पुत्र के लिए उसके माता पिता ही उसका संसार है" | ये उत्तर सुनकर महादेव और पार्वती प्रसन्न हो गये और गणेश को प्रतियोगिता का विजेता घोषित किया |
किससे हुई गणेश की शादी ?
इस घटना के बाद ब्रह्मा जी के आवाहन पर उनके मानसपुत्र विश्वकर्मा जी ने अपनी पुत्रियों के विवाह का प्रस्ताव लेकर भगवान शिव के समक्ष प्रस्तुत हुए | उनकी दो पुत्रियाँ थी और उनकी ये शर्त थी की उन दोनों का विवाह एक ही जगह हो | इसी शर्त पर गणेश जी का विवाह रिद्धि और सिद्धि के साथ संपन्न हुआ | आगे चलकर कार्तिकेय का भी भी देव कन्या के साथ हुआ | तो इस प्रकार भगवान् गनेस्श जी का विवाह संपन्न हुआ |