हर धर्म का एक प्रतीकात्मक चिन्ह होता है | हम सबने हमेशा इसाई धर्म का क्रॉस वाला चिन्ह देखा है, हिन्दू धर्म के स्वस्तिक और ॐ देखे है , सिख धर्म का कृपाण वाला चिन्ह देखा है पर कभी उन सभी चिन्हों का मतलब नहीं समझा | तो आइये आज हम आपको प्रमुख धर्मों के धार्मिक चिन्हों का मतलब समझाते हैं |
1. ॐ चिन्ह का मतलब :
ॐ हिन्दू धर्म का सबसे पवित्र मंत्र है | ॐ शब्द अपने आप में सर्व-भूत, सर्वज्ञ और सर्व शक्तिमान भगवान का सन्देश लिए हुए है | ॐ शब्द हिन्दू धर्म की कई बड़ी ही महत्वपूर्ण चीजों का मतलब समझाता है जैसे की तीन लोक : स्वर्ग, नरक और पृथ्वी, तीन वेद: यजुर्वेद, सामवेद, ऋगवेद और त्रिमूर्ति देवों का : ब्रह्मा, विष्णु, महेश | इसके अलवा ॐ शब्द का उच्चारण करने से उत्पन्न होने वाली ध्वनि को ब्रम्हांड के सृजन की गुत्थी सुलझाने में भी इस्तेमाल किया जा रहा है | ॐ शब्द हर प्रार्थना और मंत्र से पहले और अंत में पढ़ा जाता है |
2. क्रॉस चिन्ह का अर्थ :
क्रिश्चियनिटी में क्रॉस या क्रूस को धार्मिक प्रतीक का दर्जा हासिल है। जहां कहीं भी क्रॉस नजर आए, वहां क्रिश्चियनिटी जरूर होगी। क्रॉस ईसा मसीह के क्रूसिफिकेशन का प्रतीक है। ईसा मसीह को जिस सूली पर चढ़ाया गया था, ये क्रॉस उसी का प्रतीक है। ये क्रास चर्च पर, हाथ में, गले में कहीं भी नजर आ सकता है। बात चाहे पूरब की हो या पश्चिम की क्रॉस हर जगह ईसाईयत का प्रतीक चिन्ह है।
खंडा सिखों का धार्मिक प्रतीक चिह्न हैं। ये तीन प्रतीकों से मिलकर बना है। एक दो धारी तलवार, एक चक्र और दो किरपान। दो धारी तलवार एक ईश्वर पर विश्वास का प्रतिनिधित्व करती है। चक्र बताता है कि ईश्वर का न तो कोई आदि है और न ही अंत...। दो किरपान प्रतीक है ईश्वर की आध्यात्मिक प्रभुत्व और उसका राजनीतिक शक्ति का। ये पूरा का पूरा चिह्न ईश्वर को प्रतीकात्मक तौर पर व्यक्त करता है।
धर्म का चक्र या फिर धर्मचक्र बौद्ध दर्शन का प्रतीक है। इसमें आठ, बारह, चौबीस या फिर इकतीस तीलियां हो सकती हैं। चक्र धर्म की सीख का प्रतीक है तो तीलियां अलग-अलग सीख या बुद्धिज्म के बहुत सारे नियमों की प्रतीक है। केंद्र अनुशासन का प्रतीक है और रिंग समाधि का प्रतीक मानी गई है जो सबको अपने में समाए हुए हैं।
आधा चांद और सितारा पूरी दुनिया में इस्लाम का प्रतीक चिह्न है। ये एक पुराना प्रतीक चिह्न है और प्रारंभिक तौर पर इसे मध्य एशिया और सायबेरिया में आकाश को देवता की स्थापित करने के प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया जाता रहा है। ओटोमन साम्राज्य के दौरान इसे इस्लाम के प्रतीक चिन्ह के तौर पर ग्रहण किया गया।
अहिंसा हस्त जैन धर्म के प्रतीकों में से एक है। चूंकि जैन धर्म इस बात पर यकीन करता है कि सारी आत्माएं पवित्र है, इसलिए हम किसी भी जीव की उपेक्षा नहीं कर सकते हैं। हथेली पर चक्र धर्म का प्रतीक है और चक्र के बीच का चिह्न अहिंसा का प्रतीक है।