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महाभारत की कुछ ऐसी कहानिया है जिसके बारे में सबको नहीं पता है. ऐसी ही एक कहानी है दुर्योधन,पितामाह भीष्म और अर्जुन की.
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क्रोधित दुर्योधन भीष्म पितामह पर गुस्सा करते हुए |
जब कौरव बुरी तरह से हार रहे थे तो गुस्से में दुर्योधन भीष्म पितामहा के पास पंहुचा और उन्हें बुरा भला कहने लगा और उनपर इल्जाम लगाया की आप अपनी पूरी शक्ति से नहीं लड़ रहे हो वरना पांधव अब तक हार जाते। भीष्म पितामहा क्रोधित हो गए और उन्होंने 5 सोने के तीर निकालकर उसपर कोई मंत्र पड़े और बोले की कल इन तीरो से पांचो पांडवो को मार दूंगा।
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भीष्म पितामह को गुस्सा आया जिसके उन्होंने पांच सोने के तीर मंत्रित किये |
दुर्योधन को इस बात पर विश्वास नहीं हुआ और वो भीष्म पितामह से तीर ये कहकर ले आया की सुबह लौटायेगा।
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मंत्रित सोने के तीर |
कृष्णा जी को जैसे ही इन तीरो के बारे में ज्ञात हुआ तो अर्जुन को बुला कर बोले की जाओ उन तीरो को अर्जुन से मांग कर ले आओ. उन्होंने अर्जुन को याद दिलाया की एकबार तुमने दुर्योधन को गन्धर्व से बचाया था और दुर्योधन ने वचन दिया था की भविष्य में तुम उससे जान बचाने के लिए कुछ भी एक चीज़ मांग सकते हो.
कृष्णा अर्जुन को समझाते हुए
अर्जुन दुर्योधन के पास गया और वो तीर मांग कर ले आया.क्षत्रीय होने की वजह से दुर्योधन ने अपना वचन निभाया और पांडवो की जान बच गयी।
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