Hinduism

कल तुलसी जी की शादी है, आप भी चल रहे हैं न बारात में ? | Tulsi Vivah and celebrations



किससे होती है माँ तुलसी की शादी ?

तुलसी विवाह हिन्दू धर्म में चली आ रही एक बहुत ही पुरानी परम्परा है | इस दिन हर घर में पाए जाने वाले तुलसी वृक्ष की शादी भगवान विष्णु के अवतार कृष्ण से की जाती है | तुलसी विवाह को प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है | तुलसी विवाह हिन्दू पंचांग के हिसाब से कार्तिक मास में मनाया जाता है | तुलसी विवाह इस बात का सूचक है की आज से मानसून का महीना समाप्त होता है और हिन्दुओं के विवाह का मुहूर्त भी शुरू हो जाता है |

तुलसी विवाह की कहानी :

आज से हजारों वर्ष पूर्व पौराणिक काल में एक वृंदा नाम की राजकुमारी थी | वो बाहुत ही सुन्दर और विष्णु भक्त थी | उनका विवाह जलंधर नाम के राक्षस के साथ हुआ | एक समय की बात है जब जलंधर ने देवताओं पर आक्रमण कर दिया | तब अपने पति की विजय के लिए वृंदा भगवान् विष्णु की आराधना करने बैठ गयी | उसने ये निश्चय कर लिया की जब तक जलंधर विजय प्राप्त करके वापस नहीं आ जाता तब तक वो अपने अनुष्ठान से नहीं उठेगी |

वहीँ दूसरी तरफ युद्ध के मैदान में सारे देवता जलंधर के आगे बेकार सिद्ध होते जा रहे थे क्योंकि वृंदा के अनुष्ठान की शक्ति की वजह से कोई भी जलंधर को हरा नहीं पा रहा था | तब सारे देवता भगवान विष्णु के पास आये और उनसे विनती की कि वो वृंदा को उसके अनुष्ठान से उठाये | पर भगवान् विष्णु ने कहा की वृंदा उनकी प्रिय और सबसे सच्ची भक्त है वो उसके साथ छल नहीं कर सकते | पर देवताओं के विनाश की वजह से भगवान् विष्णु ने जलन्धर का रूप धरा और वो वृंदा के सामने आये |
वृंदा नकली जालन्धर को अपना पति समझ अनुष्ठान से उठ गयी और वहां युद्ध के मैदान में देवताओं ने असली जलंधर का सर कट कर वृंदा के चरणों में गिरा दिया | वृंदा समझ नहीं पाई की ये जलन्धर का वेश धरे कौन है ?
तब भगवन विष्णु अपने रूप में आये और उन्होंने वृंदा को सारी बातें समझायी | 
भगवान् के इस छल से वृंदा क्रुद्ध हो उठी और भगवान् को पत्थर हो जाने का श्राप दिया | उसके इस श्राप से भगवन तुरंत ही पत्थर हो गए | सारे संसार में भूचाल आ गया | सारे देवी सव्ताओं ने वृंदा से अपना श्राप वापस लेने की गुहार की | तब वृंदा ने अपना श्राप वापस लिया और जलंधर के शव के साथ सटी हो गयी |


उनकी राख से एक पौधा निकला तब भगवान विष्णु जी ने कहा- आज से इनका नाम तुलसी है,और मेरा एक रूप इस पत्थर के रूप में रहेगा जिसे शालिग्राम के नाम से तुलसी जी के साथ ही पूजा जाएगा और मैं बिना तुलसी जी के नहीं पूजा जाऊंगा | तबसे सभी तुलसी जी की पूजा करने लगे और उनका कार्तिक मास में भगवान विष्णु से विवाह कर दिया जाता है |

तुलसी विवाह मुहूर्त :

विवाह तिथि प्रारंभ   : 11/11/16 को प्रातः 09:12 से 
विवाह तिथि समाप्त  : 12/11/16 को प्रातः 06:23 तक 


कल विवाह की तयारी कर लो आप सब | इश्वर करें सब मंगल मंगल हो | 



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