क्या है गुरु गोरख नाथ जी की खिचिड़ी का रहस्य:-
शिवावतारी गुरु गोरख नाथ जी नाथ संप्रदाय के शिरोमणि माने गए है अनेक हिन्दू धार्मिक ग्रंथो में उनकी कहानिया और किस्से उनके जन्म से ही शुरू हो गए थे मान्यता है कि गोरख नाथ का जन्म गाय के गोबर के ढेर से होने के कारण ही उनका नाम गोरक्ष पड़ा और बाद में नाथ संप्रदाय से जुड़ने के कारण इनका नाम गोरख नाथ हो गया. इतिहास में जगत कल्याण के लिए अनेक ऐतहासिक कहानियाँ सुनने को मिलती है तथा साथ ही उनके प्रमाण आज भी किसी न किसी रूप में मौजूद हैं आज हम ऐसी ही प्रामाणिक कहानी के बारे में आपको बता रहे हैं
महान योगी गुरु गोरखनाथ जी की माँ ज्वाला देवी से भेंट:-
यह कहानी त्रेतायुग की है जब महान योगी गुरु गोरख नाथ हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में ज्वाला देवी स्थान पैर भ्रमड़ हेतु निकले हुए थे तभी वह पर साक्षात् देवी प्रकट हुई और गुरु गोरख नाथ जी को स्वागत के लिए भोजन का आमंत्रण दिया परंतु गोरखनाथ जी ने देवी से कहा की हे देवी हम संत लोग माँस मदिरा युक्त तामसी भोजन नहीं कर सकते और आपके स्थान पर तो केवल यही तामसिक भोजन ही है। हम केवल खिचिड़ी ही खाते हैं. इतना सुनकर देवी ने भी गोरख नाथ से कहा की मैं भी आपके साथ ही खिचड़ी खाऊँगी तब देवी माँ ने गोरख नाथ को कहा कि आप कहीँ से खिचिड़ी हेतु दाल चावल मांग कर लाएं जब तक मैं आग जलाकर पानी गरम कर रही हूँ.
गोरखनाथ जी का गोरखपुर में समाधिस्थ होना और आज तक खप्पर का ना भरना :-
और फिर गुरु गोरख नाथ जी सामान मांगने के लिए हिमालय की तलहटी के जंगलो में चले गए किन्तु वह वहाँ की अलौकिक सुंदरता देखकर ही वहीँ पर समाधिस्थ हो गए और जिस स्थान पर बाबा गुरु गोरखनाथ समाधिस्थ हुए वह स्थान गुरु गोरखनाथ जी के ही नाम पर कालांतर में गोरखपुर कहलाया। और तभी से गुरु गोरखनाथ जी का खप्पर भरने के लिए आज भी गोरखपुर शहर में गोरख मंदिर में खिचड़ी चढाने के लिए लोग आ रहे है किन्तु आज तक उनका खप्पर भरा नहीं है.
ज्वाला मैया का गोरखनाथ जी की खिचड़ी के लिए आज तक इंतज़ार देखना:-
और इधर माँ ज्वाला देवी मंदिर में आज भी देवी गोरखनाथ जी के आने और खिचड़ी तैयार करने का इंतज़ार कर रही हैं और वहाँ पर आज भी प्रामाणिक तौर पर आश्चर्यजनक रूप से पानी गर्म हो रहा है और मान्यता है कि माँ ज्वाला देवी के क्रोधित होने के कारण ही आज भी उनके मंदिर में जगह जगह क्रोध रुपी ज्वाला प्रज्वल्लित हो रही है। इस दहकती ज्वाला को देखकर लगता है कोई भी इसमें आसानी से जल जाएगा किन्तु मैया की कृपा से ज्वाला की लौ से कोई भी भक्त नहीं जलता। लोगों का मंदिर में अटूट विश्वास है लाखों भक्त ज्वाला देवी माई के दरबार में अपनी अपनी मनोकामना लेकर के आते हैं और ज्वालाजी के अद्धभुत दर्शनों का लाभ लेते है ज्वाला मैया के दरबार में ही मुग़ल सम्राट अकबर का चढ़ाया हुआ सोने का छतर रखा हुआ है।