Hinduism

भगवान विष्णु के दशावतारों में नहीं जानते तो अधूरा है आपका आध्यात्मिक ज्ञान | the 10 Avatar of Lord Vishnu



भगवान विष्णु ने समय समय पर पृथ्वी पर बुरी ताकतों के संहार के लिए जन्म लिया है | सनातन धर्म की मान्यता के हिसाब से जब जब बुरी और नकारात्मक शक्तियों का बोल बाला बढ़ा है तब तब विष्णु जी ने धरती की रक्षा के लिए अवतार लिया है | तो आइये आपको पढ़वाते है भगवान् विष्णु के वो १० अवतार जिन्होंने धरती की रक्षा की हर समय |

1. मत्स्य अवतार :


ब्रम्हांड के पुनः सृजन से पहले ब्रह्मा जी के मुख से वेदों का ज्ञान निकला | इस ज्ञान को हयग्रीव नाम के एक असुर ने चुरा लिया | हयग्रीव एक ऐसा असुर था जिसका सर घोड़े का था और धड़ मनुष्य का | उसके ऐसे कृत्य से ब्रह्मा जी चीर निद्रा में चले गए और धरती का संतुलन बिगड़ गया | तब सृष्टि को सुचारू रूप से चलाने और सुरक्षित रखने के लिए भगवान् विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया |

2. कूर्म :


कूर्म अवतार को कछुआ के रूप में अवतार भी कहते हैं। कूर्म के अवतार में भगवान विष्णु ने क्षीरसागर के समुद्रमंथन के समय मंदार पर्वत को अपने कवच पर संभाला था। इस प्रकार भगवान विष्णु, मंदर पर्वत और वासुकि नामक सर्प की सहायता से देवों एंव असुरों ने समुद्र मंथन करके चौदह रत्नोंकी प्राप्ति की। इस समय भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप भी धारण किया था।

3. वाराह अवतार :


भगवान विष्णु का तीसरा अवतार वराह अवतार था जिसमे भगवान विष्णु ने पृथ्वी को बचाने के लिए एक वराह के रूप में अवतार लिया था | मित्रो वैसे वराह का अर्थ सूअर होता है | वाराहावतार भगवान श्री हरि का एक अवतार है। जब जब धरती पापी लोगों से कष्ट पाती है तब तब भगवान विविध रूप धारण कर इसके दु:ख दूर करते हैं।

4. नरसिंह अवतार :


नरसिंह अर्थात नर और सिंह ("मानव-सिंह") को पुराणों में भगवान विष्णु का अवतार माना गया है । जो आधे मानव एवं आधे सिंह के रूप में प्रकट होते हैं, जिनका सिर एवं धड तो मानव का था लेकिन चेहरा एवं पंजे सिंह की तरह थे वे भारत में, खासकर दक्षिण भारत में वैष्णव संप्रदाय के लोगों द्वारा एक देवता के रूप में पूजे जाते हैं जो विपत्ति के समय अपने भक्तों की रक्षा के लिए प्रकट होते हैं ।

5. वामन अवतार :

दैत्यों के राजा बलि ने अपने जीवन में दान देने का वचन लिया था। कोई याचक उससे जो वस्तु माँगता राजा उसे वह वस्तु देता था। उसके राज्य में जीव-हिंसा, मद्यपान,  वेश्यागमन, चोरी और विश्वासघात उन पाँच महापातकों का अभाव था।

चहुँओर दया, दान अहिंसा, सत्य और ब्रह्मचर्य का बोलबाला था। आलस्य, मलिनता, रोग और निर्धनता उसके राज्य से कोसों दूर थीं। लोग पारस्परिक स्नेह के साथ रहते थे। अपने राज्य को इतन असबल और समृद्ध बनाने की वजह से राजा बलि को बहुत ही अहंकार आ गया | तब भगवान विष्णु ने बलि का अहंकार तोड़ने के लिए एक लीला की और वामन अवतार लिया |

6. परशुराम :


परशुराम महर्षि जमदग्नि और रेणुका के सबसे छोटे पुत्र हैं इस समय वो महेंद्रगिरि नामक पर्वत पर आज भी अपने सुक्ष्म शरीर से तपस्या में लीन हैं | पूर्व काल में क्षत्रिय राजा बहुत अत्याचारी और तामसी प्रवर्ती के हो गये थे तब नारायण ने अपने अंश से परशुराम रुप में अवतार लिया और पृथ्वी को इक्कीस बार क्षत्रिय राजाओं से रहित कर दिया |

7. राम :

राम, प्राचीन भारत में अवतरित, भगवान थे | हिन्दू धर्म में, राम, विष्णु के १० अवतारों में से सातवें हैं। राम का जीवनकाल एवं पराक्रम, महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित, संस्कृत महाकाव्य रामायण के रूप में लिखा गया है | उन पर तुलसीदास ने भी भक्ति काव्य श्री रामचरितमानस रचा था | खास तौर पर उत्तर भारत में राम बहुत अधिक पूजनीय हैं | रामचन्द्र हिन्दुओं के आदर्श पुरुष हैं |


राम, अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के सबसे बडे पुत्र थे। राम की पत्नी का नाम सीता था और इनके तीन भाई थे- लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न | हनुमान, भगवान राम के, सबसे बड़े भक्त माने जाते है | राम ने राक्षस जाति के राजा रावण का वध किया था |

8. कृष्ण :


कृष्ण हिन्दू धर्म में विष्णु के अवतार हैं। सनातन धर्म के अनुसार भगवान विष्णु सर्वपापहारी पवित्र और समस्त मनुष्यों को भोग तथा मोक्ष प्रदान करने वाले प्रमुख देवता हैं। जब-जब इस पृथ्वी पर असुर एवं राक्षसों के पापों का आतंक व्याप्त होता है तब-तब भगवान विष्णु किसी न किसी रूप में अवतरित होकर पृथ्वी के भार को कम करते हैं।

9. बुद्ध :


गौतम बुद्ध विश्व के प्राचीनतम धर्मों में से एक बौद्ध धर्म के प्रवर्तक थे। उनका जन्म वैदिक सनातन धर्मावलम्वि क्षत्रिय कुल के शाक्य नरेश शुद्धोधन के घरमे हुआ था। सिद्धार्थ विवाहोपरांत एक मात्र प्रथम नवजात शिशु राहुल और पत्नी यशोधरा को त्यागकर संसार को जरा, मरण और दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग की तलाश में रात में राजपाठ छोड़कर जंगल चले गए। वर्षों की कठोर साधना के पश्चात बोध गया में बोधी वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से गौतम बुद्ध बन गए। 

10. कल्कि :

कल्कि को विष्णुका भावी अवतार माना गया है। पुराणकथाओं के अनुसार कलियुग में पाप की सीमा पार होने पर विश्व में दुष्टों के संहार के लिये कल्कि अवतार प्रकट होगा।




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