आज पूरे १ वर्ष के बाद शिवभक्तों का इंतज़ार ख़त्म हुआ और अपने इष्ट देव को पूजने का पवां अवसर उन्हें मिला है। ऐसे तो हर दिन ही शिवभक्तों के लिए विशेष होता है पर आज महाशिवरात्रि के दिन महादेव का पूजन करने का अपना ही महत्व है। अगर आपने अभी तक भगवान् शिव की पूजा नहीं की है तो हम बताते है आपको की कैसे करें भगवान् शिव की पूजा जिससे वो प्रसन्न हो जाएँ।
चारों प्रहर के पूजन में शिवपंचाक्षर (नम: शिवाय) मंत्र का जाप करें। भव, शर्व, रुद्र, पशुपति, उग्र, महान, भीम और ईशान, इन आठ नामों से फूल अर्पित कर भगवान शिव की आरती व परिक्रमा करें। अगर आपने व्रत नहीं किया है तो आपको सामान्य पूजा तो अवश्य करनी चाहिए। जिसमें शिवलिंग को पवित्र जल, दूध और मधु से स्नान करवाएं। भगवान को बेलपत्र अर्पित करें। इसके बाद धूप बत्ती करें। फिर दीपक जलाएं। ऐसा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं। इस दिन इन दो मंत्रों का जाप करें।
महाशिवरात्रि का विशेष पूजन :
महाशिवरात्रि को पूजा करते वक्त सबसे पहले मिट्टी के बर्तन में पानी भरकर, ऊपर से बेलपत्र, धतूरे के पुष्प, चावल आदि डालकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। वहीं अगर घर के आस-पास में शिवालय न हो, तो शुद्ध गीली मिट्टी से ही शिवलिंग बनाकर भी उसे पूजा जा सकता है। वहीं इस दिन शिवपुराण का पाठ सुनना चाहिए और पाठ करना चाहिए। शिव पुराण में महाशिवरात्रि को दिन-रात पूजा के बारे में कहा गया है और चार पहर दिन में शिवालयों में जाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक कर बेलपत्र चढ़ाने से शिव की अनंत कृपा प्राप्त होती है। कई लोग चार पहर की पूजा भी करते हैं, जिसमें बार बार शिव का रुद्राभिषेक करना होता है।
चारों प्रहर के पूजन में शिवपंचाक्षर (नम: शिवाय) मंत्र का जाप करें। भव, शर्व, रुद्र, पशुपति, उग्र, महान, भीम और ईशान, इन आठ नामों से फूल अर्पित कर भगवान शिव की आरती व परिक्रमा करें। अगर आपने व्रत नहीं किया है तो आपको सामान्य पूजा तो अवश्य करनी चाहिए। जिसमें शिवलिंग को पवित्र जल, दूध और मधु से स्नान करवाएं। भगवान को बेलपत्र अर्पित करें। इसके बाद धूप बत्ती करें। फिर दीपक जलाएं। ऐसा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं। इस दिन इन दो मंत्रों का जाप करें।
शिव वंदना :
ॐ वन्दे देव उमापतिं सुरगुरुं, वन्दे जगत्कारणम्।
वन्दे पन्नगभूषणं मृगधरं, वन्दे पशूनां पतिम्।।
वन्दे सूर्य शशांक वह्नि नयनं, वन्दे मुकुन्दप्रियम्।
वन्दे भक्त जनाश्रयं च वरदं, वन्दे शिवंशंकरम्।।
वन्दे पन्नगभूषणं मृगधरं, वन्दे पशूनां पतिम्।।
वन्दे सूर्य शशांक वह्नि नयनं, वन्दे मुकुन्दप्रियम्।
वन्दे भक्त जनाश्रयं च वरदं, वन्दे शिवंशंकरम्।।