अगर देवों की श्रृंखला में कोई देव ऐसा है जो भक्तों के कम से कम संसाधन और प्रयास के बाद भी सबसे जल्दी भक्तों पर अपनी कृपादृष्टि बरसाता है तो वो हैं भगवान् शंकर। कभी आपने शिव पर अर्पित होने वाले किसी भी सामान या प्रसाद को महंगा पाया है ? जो भगवान् २ धतूरे और एक मुट्ठी भांग में भक्तो का हो जाता है उससे ज्यादा भक्तप्रिय कोई और देवता हो ही नहीं सकता। तो आइये आपको आज बताते है उस पूजन विधि के बारे में जिसमे अत्यंत की काम संसाधनों में आप भगवान् शिव की इस महाशिवरात्रि पर पूजा कर सकते हैं।
अब स्वस्ति-पाठ करें।
इस तरीके से पूजा करने से भगवान् शंकर शीघ्र ही प्रसन्न होते है और ज्यादा से ज्यादा कृपा करते है।
वैदिक पूजन विधि :
भगवान शंकर की पूजा के समय शुद्ध आसन पर बैठकर पहले आचमन करें। यज्ञोपवित धारण कर शरीर शुद्ध करें। तत्पश्चात आसन की शुद्धि करें। पूजन-सामग्री को यथास्थान रखकर रक्षादीप प्रज्ज्वलित कर लें।अब स्वस्ति-पाठ करें।
स्वस्ति-पाठ :
स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवा:, स्वस्ति ना पूषा विश्ववेदा:,
स्वस्ति न स्तारक्ष्यो अरिष्टनेमि स्वस्ति नो बृहस्पति र्दधातु।
Step-By-Step पूजन विधि :
- स्वस्ति पाठ के बाद पूजन का संकल्प कर भगवान गणेश एवं गौरी-माता पार्वती का स्मरण कर पूजन करना चाहिए।
- यदि आप रूद्राभिषेक, लघुरूद्र, महारूद्र आदि विशेष अनुष्ठान कर रहे हैं, तब नवग्रह, कलश, षोडश-मात्रका का भी पूजन करना चाहिए।
- संकल्प करते हुए भगवान गणेश व माता पार्वती का पूजन करें फिर नन्दीश्वर, वीरभद्र, कार्तिकेय (स्त्रियां कार्तिकेय का पूजन नहीं करें) एवं सर्प का संक्षिप्त पूजन करना चाहिए।
- इसके पश्चात हाथ में बिल्वपत्र एवं अक्षत लेकर भगवान शिव का ध्यान करें।
- भगवान शिव का ध्यान करने के बाद आसन, आचमन, स्नान, दही-स्नान, घी-स्नान, शहद-स्नान व शक्कर-स्नान कराएं।
- इसके बाद भगवान का एक साथ पंचामृत स्नान कराएं।
- फिर सुगंध-स्नान कराएं फिर शुद्ध स्नान कराएं।
- अब भगवान शिव को वस्त्र चढ़ाएं।
- वस्त्र के बाद जनेऊ चढाएं।
- फिर सुगंध, इत्र, अक्षत, पुष्पमाला, बिल्वपत्र चढाएं।
- अब भगवान शिव को विविध प्रकार के फल चढ़ाएं।
- इसके पश्चात धूप-दीप !!
इस तरीके से पूजा करने से भगवान् शंकर शीघ्र ही प्रसन्न होते है और ज्यादा से ज्यादा कृपा करते है।