Hinduism

एक अल्पायु बालक जिसने शिव को पूजा और दुनिया ने उसको नंदी पुकारा | The complete story of Lord Shiva's Nandi



भगवान शिव जितना माता पार्वती से पूरे होते हैं उतना ही नंदी के बिना अधूरे हैं। हिन्दुस्तान में कोई भी ऐसा शिवाला नहीं होगा जिसमे प्रवेश से पहले भक्तजनों को नंदी के सामने सीश झुकाना पड़ता हो। भगवान शंकर के सबसे प्रिय नंदी भक्तजनों के भी प्रिय हैं। लेकिन आम जन-जीवन में लोग नंदी जी के बैल स्वरुप को पूजकर छोड़ देते है, उनके बारे में कोई भी जानकारी नहीं जुटा पाते। पर आज के विशेषांक में हम आपके सामने नंदी जी के बचपन की कहानियाँ और और उनकी शिव के प्रति भक्ति की बाते बताएँगे।

कौन है नंदी ? कहाँ हुआ था जन्म ?

पुराणों में यह कथा मिलती है कि शिलाद मुनि के ब्रह्मचारी हो जाने के कारण वंश समाप्त होता देख उनके पितृ अपनी चिंता उनसे व्यक्त की। शिलाद निरंतर योग तप आदि में व्यस्त रहने के कारण गृहस्थाश्रम नहीं अपनाना चाहते थे अतः उन्होंने संतान की कामना से इंद्र देव को तप से प्रसन्न कर जन्म और मृत्यु से हीन पुत्र का वरदान माँगा। इंद्र ने इसमें असर्मथता प्रकट की तथा भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कहा।


तब शिलाद ने कठोर तपस्या कर शिव को प्रसन्न किया और उनके ही समान मृत्युहीन तथा दिव्य पुत्र की माँग की। भगवान शंकर ने स्वयं शिलाद के पुत्र रूप में प्रकट होने का वरदान दिया। कुछ समय बाद भूमि जोतते समय शिलाद को एक बालक मिला। शिलाद ने उसका नाम नंदी रखा।

बचपन में ही शिव भक्ति की अलख जगी :

नंदी को बड़ा होते देख भगवान शंकर ने मित्र और वरुण नाम के दो मुनि शिलाद के आश्रम में भेजे जिन्होंने नंदी को देखकर भविष्यवाणी की कि नंदी अल्पायु है। नंदी को जब यह ज्ञात हुआ तो वह महादेव की आराधना से मृत्यु को जीतने के लिए वन में चला गया।


वन में उसने शिव का ध्यान आरंभ किया। भगवान शिव नंदी के तप से प्रसन्न हुए व दर्शन वरदान दिया- वत्स नंदी! तुम मृत्यु से भय से मुक्त, अजर-अमर और अदु:खी हो। मेरे अनुग्रह से तुम्हे जरा, जन्म और मृत्यु किसी से भी भय नहीं होगा।"

महादेव के सबसे प्रिय हैं नंदी :


भगवान शंकर ने उमा की सम्मति से संपूर्ण गणों, गणेशों व वेदों के समक्ष गणों के अधिपति के रूप में नंदी का अभिषेक करवाया। इस तरह नंदी नंदीश्वर हो गए। मरुतों की पुत्री सुयशा के साथ नंदी का विवाह हुआ। भगवान शंकर का वरदान है कि जहाँ पर नंदी का निवास होगा वहाँ उनका भी निवास होगा। तभी से हर शिव मंदिर में शिवजी के सामने नंदी की स्थापना की जाती है। 



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