hindu

नवरात्र में माँ दुर्गा की पूजा के बाद अवश्य पढ़ें ये क्षमा प्रार्थना मंत्र | Always read this Kshma Mantra in Navratra



क्या है क्षमा भाव ?


जीवन में सुखी रहने, सुख बंटोरने या कायम रखने का सबसे अच्छा उपाय माना गया है - क्षमाभाव। क्षमा का यह सूत्र रिश्तों और भक्ति दोनों में ही अपार सुख देता है। असल में क्षमाभाव जोड़कर रखता है। रिश्तों में इंसानों से तो भक्ति में ईश्वर से। भक्ति में भाव ही अहम माना गया है, न कि साधन। चूंकि ईश्वर भक्ति से जुड़े़ कारणों में सांसारिक जीवन के दु:खों से रक्षा भी एक होता है। इसलिए श्रद्धा और आस्था से की जाने वाली देव उपासना में मानसिक, शारीरिक या बाधा आती है तो सुख की कामना से की गई उपासना में खलल मन को आहत कर संशय से भरता है।

क्यों करनी चाहिये क्षमा प्रार्थना ? 


शास्त्रों में देव उपासना की परंपराओं में पूजा-पाठ के दौरान जाने-अनजाने हुए ऐसे ही दोष से छुटकारे के लिए विशेष मंत्र बताए गए हैं जिनको बोलकर मंत्र, क्रिया या भक्ति दोष का शमन हो जाता है। इस विशेष क्षमा मंत्र को देव विशेष की पूजा, मंत्र जप, आरती के बाद अंत में क्षमा प्रार्थना के दौरान बोलें-


॥ क्षमा प्रार्थना॥

अपराधसहस्राणि, क्रियन्तेऽहॢनशं मया।
दासोऽयमिति मां मत्वा, क्षमस्व परमेश्वर॥ १॥
आवाहनं न जानामि, न जानामि विसर्जनम्।
पूजां चैव न जानामि, क्षम्यतां परमेश्वर॥ २॥
मंत्रहीनं क्रियाहीनं, भक्तिहीनं सुरेश्वर।
यत्पूजितं मया देव, परिपूर्णं तदस्तु मे॥ ३॥
अपराधशतं कृत्वा, श्रीसद्गुरुञ्च यः स्मरेत्।
यां गतिं समवाप्नोति, न तां ब्रह्मादयः सुराः॥ ४॥
सापराधोऽस्मि शरणं, प्राप्तस्त्वां जगदीश्वर।
इदानीमनुकम्प्योऽहं, यथेच्छसि तथा कुरु॥ ५॥
अज्ञानाद्विस्मृतेर्भ्रान्त्या, यन्न्यूनमधिकं कृतम्।
तत्सर्वं क्षम्यतां देव, प्रसीद परमेश्वर॥ ६॥
ब्रह्मविद्याप्रदातर्वै, सच्चिदानन्दविग्रह!।
गृहाणार्चामिमां प्रीत्या, प्रसीद परमेश्वर॥ ७॥
गुह्यातिगुह्यगोप्ता त्वं, गृहाणास्मत्कृतं जपम्।
सिद्धिर्भवतु मे देव, त्वत्प्रसादात्सुरेश्वर॥ ८॥



About Anonymous

MangalMurti.in. Powered by Blogger.