हिंदुस्तान में कहाँ है ये मंदिर ?
राजस्थान के बीकानेर शहर में एक मंदिर ऐसा भी है,जहां चूहों की पूजा-अर्चना की जाती है। इतना ही नहीं, चूहों का झूठा प्रसाद ही भक्तों में वितरित किया जाता है। विशेष बात ये है कि इस मंदिर में एक नहीं, दो नहीं, बल्कि बीस हजार चूहे भक्तों को देखने को मिलते हैं। इन चूहों को न सिर्फ पूजा जाता है, बल्कि हर भक्त इस बात का भी ख्याल रखता है कि चूहों को कोई हानि न पहुंचे।
अगर गलती से कोई चूहा किसी भक्त के पैर के नीचे आने से मर जाता है तो उस भक्त को चांदी का चूहा मंदिर में दान करना होता है। देशानोक में स्थित इस मंदिर को चूहों वाला और करणी माता के मंदिर के नाम से जाना जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि जिस व्यक्ति को अगर सफेद चूहा नजर आता है तो उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।
इतने चूहे क्यों ?
इस मंदिर में इतने चूहे क्यों है, इसके पीछे भी एक रोचक कहानी है। दरअसल मां जगदम्बा की अवतार करणी माता चूहों को अपनी संतान मानती है। करणी माता का बचपन का नाम रिघुबाई था। उनकी शादी साठिका गांव के किपोजी चारण से हुई थी, लेकिन वे शुरू से ही माता की भक्ति में लीन रहती थी। इसलिए उन्हें किपोजी की शादी अपनी छोटी बहन गुलाब से करा दी। एक दिन उनके सौतेले पुत्र (गुलाब और उसके पति की संतान) लक्ष्मण कपिल सरोवर में पानी पीने गया, जहां उसकी डूबने से मृत्यु हो गई। मां ने अपने पुत्र को यम से पुन: जीवित करने को कहा। बाद में यम को मां की विनती माननी पड़ी और उन्होंने उन्हें चूहे के रूप में जीवित कर दिया। इसके अलावा एक कथा ये भी है। एक बार २०००० सौनिकों की एक सेना देशनोक पर आक्रमण करने आई, जिन्हें माता ने अपने गुस्से से चूहों के रूप में बदल दिया।
बिल से निकल आते हैं बाहर :
मंदिर में एक समय में इतने सारे चूहे नजर नहीं आते हैं, लेकिन सुबह-शाम होने वाली आरती के समय हर चूहा अपने बिल से बाहर निकल आता है। इन दो वक्त पर मंदिर परिसर में सबसे ज्यादा चूहे नजर आते हैं।