facts

ऐसा कौन सा श्राप मिला ब्रह्मा जी को जो कोई भी नहीं रखता उनकी मूर्ति अपने घर में | Why Lord Brahma is not worshipped anywhere ?



*यह आर्टिकल राखी सोनी द्वारा लिखा गया है। 


इस वजह से घर-घर नहीं पूजे जाते हैं ब्रह्मा जी :


हमारे हिन्दी ग्रंथों में भगवान श्रीगणेश, श्रीराम, हनुमान जी, मां दुर्गा और राधा-किशन समेत कई देवी-देवताओं के विभिन्न जगह अनगिनत मंदिर देखने को मिलते हंै, लेकिन जिसने इस दृष्टि की रचना की, ब्रह्मा जी के पूरे देश में ज्यादा मंदिर नहीं हैं। मुश्किल से ५-६ मंदिर स्थित होंगे, लेकिन सबसे पौराणिक मंदिर सिर्फ राजस्थान के पुष्कर जिले में स्थित है। इस मंदिर का जिक्र पुराण में भी है। यहां ब्रह्मा जी ने कई सालों तक तपस्या की थी।  कहा जाता है कि उनकी पत्नी सरस्वती जी के दिए गए श्राप की वजह से उनकी पूजा-अर्चना लोग अपने घरों में भी नहीं करते हैं।

गुस्से में दिया श्राप :

एक पौराणिक कथा के अनुसार ब्रह्मा जी ने पृथ्वी की भलाई के लिए यज्ञ करने का फैसला लिया। यज्ञ के लिए उन्होंने पुष्कर जगह का चुनाव किया। यज्ञ में उनकी पत्नी सरस्वती का होना भी अनिवार्य था, लेकिन किसी कारणवश सरस्वती समय पर नहीं पहुंच पाई। यज्ञ बिना रुकावट सम्पन्न हो सके, इसके लिए उन्होंने वहां रहने वाली गायत्री युवती से विवाह कर लिया और यज्ञ शुरू कर दिया। यज्ञ के समय अपने पति के साथ दूसरी स्त्री को देखकर वे अपना आपा खो बैठी और उन्होंने ब्रह्मा जी को श्राप दिया, जिस पृथ्वी की भलाई के लिए वे ये यज्ञ कर रहे हैं, वहां उनकी कभी पूजा नहीं होगी।


सृष्टि की रचना करने के बावजूद उन्हें यहां पृथ्वी पर लोगों द्वारा नहीं पूजा जाएगा। बाद में जब  सरस्वती का गुस्सा ठंडा हुआ तो सभी देवताओं ने मां से श्राप वापिस लेने का आग्रह किया। बाद में  सरस्वती  ने कहा कि सिर्फ पुष्कर में ही ब्रह्मा जी का मंदिर होगा। ऐसा भी कहा जाता है कि इस यज्ञ में विष्णु जी ने ब्रह्मा जी की मदद की थी। इसलिए  सरस्वती  मां ने विष्णु जी को भी श्राप दिया कि वे भी अपनी पत्नी से दूर रहेंगे। यहीं वजह की श्रीराम और सीता कभी साथ-साथ नहीं रह पाए। पहले उन्होंने रावण की लंका में निवास किया और बाद में एक छोटी सी कुटिया में।

कब हुआ मंदिर का निर्माण, कोई नहीं जानता :


इस मंदिर का निर्माण किसने कराया यह एक पहेली है। कहा जाता है कि हजारों वर्ष पहले अरण्य वंश के राजा को ये मंदिर सपने में नजर आया था। उन्हें सपने में आदेश दिया गया इस मंदिर का रख-रखाव किया जाए। तब उस राजा ने इस मंदिर की तलाश की और फिर इसका निर्माण कराया। इस मंदिर के साथ यहां पहाड़ी पर मां सरस्वति का भी मंदिर है।

इस दिन का विशेष महत्व :

वैसे तो पुष्कर में काफी संख्या में सैलानी इस मंदिर को देखने के लिए आते हैं।  कार्तिक पूर्णिमा पर यहां मेले का आयोजन किया जाता है। तब हजारों की संख्या में लोग पुष्कर सरोवर में डुबकी लगाते हैं। इस सरोवर का निर्माण ब्रह्मा जी के हाथ से गिरे कमल की वजह से हुआ है। ऐसी मान्यता है कि व्यक्ति को अपने जीवनकाल में पुष्कर सरोवर में स्नान जरूर करना चाहिए। यहां स्नान करने से ब्रदीनारायण, जगन्नाथ धाम और द्वारका जी की यात्रा पूर्ण मानी जाती है। श्राप की वजह से यहां के लोग और पंडित ब्रह्मा जी की मूर्ति अपने घरों में नहीं रखते हैं। 



About Anonymous

MangalMurti.in. Powered by Blogger.