हिन्दू धार्मिक ग्रंथो के अनुसार वैशाख माह में अमावस्या के दिन वैशाख अमावस्या मनाया जाता है। इस वर्ष वैशाख अमावस्या बुधवार 26 अप्रैल 2017 को मनाया जाएगा । धार्मिक मान्यता के अनुसार वैशाख अमावस्या का विशेष महत्व है। वैशाख अमावस्या के दिन शनि देव जयंती भी मनाई जाती है। पुराणों के अनुसार इस दिन भगवान शनि देव का जन्म दोपहर में 12 बजे हुआ था। शनि देव राशि के स्वामी है तथा भगवान सूर्य देव का पुत्र है। अतः वैशाख अमावस्या के दिन शनि जयंती भी मनाई जाती है।
शनि देव की कृपा से मनुष्य के जीवन के समस्त दुःख, क्लेश दूर हो जाते है। वैशाख अमावस्या के दिन दान-पुण्य का महत्व है। वर्ष के प्रत्येक अमावस्या तथा पूर्णिमा के दिन दान-पुण्य का महत्व है। परन्तु शनि जयंती के दिन दिए गए दान-पुण्य से अक्षय फल प्राप्त होता है।अतः इस दिन सामर्थ्य अनुसार ब्राह्मणो एवम गरीबो को दान दे।
वैशाख अमावस्या महत्व :
शनि देव मकर और कुम्भ राशि के स्वामी है तथा मान्यता है की शनि की महादशा 19 वर्ष की होती है। शनि ग्रह में सबसे बड़ा ग्रह है। शनि देव प्रत्येक राशि में 30 दिन तक रहते है। अतः मनुष्य को वैशाख अमावस्या के दिन भगवान शनि देव की पूजा विधि-विधान पूर्वक करना चाहिए।शनि देव की कृपा से मनुष्य के जीवन के समस्त दुःख, क्लेश दूर हो जाते है। वैशाख अमावस्या के दिन दान-पुण्य का महत्व है। वर्ष के प्रत्येक अमावस्या तथा पूर्णिमा के दिन दान-पुण्य का महत्व है। परन्तु शनि जयंती के दिन दिए गए दान-पुण्य से अक्षय फल प्राप्त होता है।अतः इस दिन सामर्थ्य अनुसार ब्राह्मणो एवम गरीबो को दान दे।
वैशाख अमवस्या पूजन विधि :
- वैशाख अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठे, नित्यकर्म से निवृत होकर पवित्र नदियों गंगा, यमुना अथवा सरोवरों में स्नान करे।
- तत्पश्चात सूर्य देव को अर्घ्य दे और प्रवहित जल धारा में तिल प्रवाहित करें।
- इस दिन पीपल वृक्ष में जल का अर्घ्य दे।
- तत्पश्चात शनि देव की पूजा तेल, तिल और दीप जलाकर करे एवम शनि चालीसा का पाठ करे ।
- इस दिन निम्न मन्त्र का अवश्य जाप करें:
नीलांजनं समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम
छायामार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्वरम्