*यह आर्टिकल राखी सोनी द्वारा लिखा गया है।
जो युवतियां मनचाहा वर चाहती हैं और शादीशुदा महिला जो सुखी वैवाहिक जीवन और अखंड सौभाग्य की कामना करती है, उन्हें श्रावण मास में माता मंगला गौरी की पूजा अर्चना और व्रत जरूर करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि ये व्रत न सिर्फ सौभाग्य को बढ़ाता है, बल्कि पति-पत्नी के प्रेम को भी दिनों दिन गहरा करता जाता है।
ये है मंगला गौरी व्रत कथा :
इस व्रत का जिक्र हमारे पुराणों में भी किया गया है। इस व्रत के बारे में एक कथा भी है। बताया जाता है कि पुराने समय की बात है। एक शहर में धरमपाल नाम का एक व्यापारी रहता था। उसके पास पैसें की कोई कमी नहीं थी, लेकिन उसे एक ही दुख था कि उसके कोई संतान नहीं थी, इस वजह से वे बहुत परेशान रहा करता है। ईश्वर की कृपा से एक दिन व्यापारी की पत्नी गर्भवती हुई और उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई । उस पुत्र की आयु लेकिन सोलह वर्ष थी। इस बात से व्यापारी काफी दुखी थी, लेकिन वे शिवजी का भक्त था। उसने शिवजी की भक्ति करनी नहीं छोड़ी। किस्मत से उसके पुत्र की शादी सोलह वर्ष से पूर्ण ऐसी कन्या से हो गई, जो मंगला गौरी व्रत किया करती थी। उस लड़के की वजह से उस लड़के की आयु सौ साल हो गई।
ऐसे करे पूजा-अर्चना :
इस व्रत को करने के कुछ नियम होते हैं। इस व्रत को करने से पहले सुबह स्वच्छ होकर लाल रंग के कोरे कपड़े पहने। इस दिन सिर्फ एक बार ही भोजन ग्रहण किया जाता है। पूरे दिन माता पार्वती और हनुमानजी की आराधना करनी चाहिए। एक चौंकी पर सफेद फिर लाल वस्त्र बिछाकर भगवान शंकर, मां मंगला गौरी और हनुमान जी का चित्र स्थापित करें। गेहूं के आटे से बनाया हुआ सोलह रुई की बत्तियों वाला एक घी का दीपक प्रज्वलित रहें। उसके बाद उन्हें पुष्प और प्रसादी का भोग लगाकर कथा को सुनें।
कुंडली में अगर है बुरे ग्रहों का योग है तो उन युवतियों को ये व्रत करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को करने से जिन युवतियों की कुंडली में तलाक के योग होते हैं वे भी टल जाते हैं। इसके साथ ही उनके पति पर आने वाले संकट भी टल जाते हैं।