कौन थे साईं बाबा ?
एक 16 साल का लड़का जो कहाँ से आया था, किसका बेटा था, क्या खाके जिन्दा रहता था किसी को नहीं पता। वो रात में जंगलों में चला जाता था, निर्भय, निडर जैसे की मानो सारा जंगल ही उसका घर हो। पूरा शिरडी उसके चमत्कार देख स्तब्ध रह जाता था। वो धीरे-धीरे अपने आचरण और व्यवहार से पूरे गाँव में घुलता गया, आहिस्ता-आहिस्ता जैसे शक्कर के दाने घुलते हैं पानी में बिलकुल वैसे ही। वो जिनकी भी ज़िन्दगी वाली शरबत में घुला सिर्फ मिठास ही बढ़ाई। जी हाँ हम आज बताने वाले है आपको करोड़ों लोगो के प्रेरणास्रोत शिरडी के साईं बाबा के बारे में।
साईं परिचय :
भक्तों और इतिहासकार इस बात से सहमत हैं कि साईं बाबा के जन्म स्थान और तिथि के सन्दर्भ में कोई भी विश्वनीय स्रोत उपलब्द्ध नहीं है। इस बात की हमें जानकारी है कि उन्होंने काफ़ी समय मुस्लिम फकीरों संग व्यतित किया लेकिन माना जाता है कि उन्होंने किसी के साथ कोई भी व्यवहार धर्म के आधार पर नहीं किया। उनके एक शिष्य दास गनु द्वारा पथरी गांव पर तत्कालीन काल पर शोध किया जिसके चार पृष्ठों में साईं के बाल्यकाल का पुनःनिर्मित किया है जिसे श्री साईं गुरुचरित्र भी कहा जाता है।
उन्हें अपने मान अपमान की कभी चिंता नहीं सताती थी। वे साधारण मनुष्यों के साथ मिलकर रहते थे, न्रत्य देखते, गजल व कवाली सुनते हुए अपना सिर हिलाकर उनकी प्रशंसा भी करते। इतना सब कुछ होते हुए भी उनकी समाधि भंग न होती। जब दुनिया जागती थी तब वह सोते थे, जब दुनिया सोती थी तब वह जागते थे। बाबा ने स्वयं को कभी भगवान नहीं माना। वह प्रत्येक चमत्कार को भगवान का वरदान मानते। सुख - दुःख उनपर कोई प्रभाव न डालते थे। उनका हर जाती धर्म के लिए सिर्फ एक ही सन्देश था 'सबका मालिक एक' !
क्या अर्थ साईं बाबा के प्रसिद्द मंत्र श्रद्धा सबूरी का ?
श्रद्धा का अर्थ :
श्रद्धा का अर्थ है विश्वास कि अगर दिल में सच्ची श्रद्धा होती है तो देर से ही सही मालिक ज़रुर सुनता है। यह नही कि अपना काम पूरा करने के लिए मन में श्रद्धा जगाई और अगर काम पूरा नही हुआ तो श्रद्धा खत्म कर दी। यह श्रद्धा नही है श्रद्धा तो वह होती है जिसमे कोई इच्छा करे बगैर सचे मन से ईश्वर की भक्ति हो , विपरीत परिस्तिथि में भी आस्था में कमी न आये।
सबूरी का अर्थ :
वैसे ही सबुरी का अर्थ है सब्र, हमे मन में सब्र भी रखना चाहिए.अगर हमने परिश्रम किया है तो ज़रुर एक न एक दिन हमे उसका फल मिलेगा,चाहे देर से मिले पर जो मालिक की मरजी से मिलता है उसका यश अलग ही होता है !
उन्हें अपने मान अपमान की कभी चिंता नहीं सताती थी। वे साधारण मनुष्यों के साथ मिलकर रहते थे, न्रत्य देखते, गजल व कवाली सुनते हुए अपना सिर हिलाकर उनकी प्रशंसा भी करते। इतना सब कुछ होते हुए भी उनकी समाधि भंग न होती। जब दुनिया जागती थी तब वह सोते थे, जब दुनिया सोती थी तब वह जागते थे। बाबा ने स्वयं को कभी भगवान नहीं माना। वह प्रत्येक चमत्कार को भगवान का वरदान मानते। सुख - दुःख उनपर कोई प्रभाव न डालते थे। उनका हर जाती धर्म के लिए सिर्फ एक ही सन्देश था 'सबका मालिक एक' !
क्या अर्थ साईं बाबा के प्रसिद्द मंत्र श्रद्धा सबूरी का ?
श्रद्धा का अर्थ है विश्वास कि अगर दिल में सच्ची श्रद्धा होती है तो देर से ही सही मालिक ज़रुर सुनता है। यह नही कि अपना काम पूरा करने के लिए मन में श्रद्धा जगाई और अगर काम पूरा नही हुआ तो श्रद्धा खत्म कर दी। यह श्रद्धा नही है श्रद्धा तो वह होती है जिसमे कोई इच्छा करे बगैर सचे मन से ईश्वर की भक्ति हो , विपरीत परिस्तिथि में भी आस्था में कमी न आये।
सबूरी का अर्थ :
वैसे ही सबुरी का अर्थ है सब्र, हमे मन में सब्र भी रखना चाहिए.अगर हमने परिश्रम किया है तो ज़रुर एक न एक दिन हमे उसका फल मिलेगा,चाहे देर से मिले पर जो मालिक की मरजी से मिलता है उसका यश अलग ही होता है !