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रामायण के 5 अनसुने तथ्य :
यूँ तो रामायण की कहानियाँ हम बचपन से सुनते आ रहे है | कभी नानी माँ की गोद में तो कभी दादा जी के साथ टहलते हुए | जैसे जैसे बड़े हुए कहानी सुनाने वाले बदलते गए और उनके हिसाब से कहानी भी | इन सब के बीच हमसे कुछ ऐसे तथ्य छूट गए रामायण के जो शायद हम सब को पता होने चाहिए थे | वाल्मीकि रामायण से उठाये, वो छुपे तथ्य, आज हम आपके लिए लाये हैं | आज जानिए हमारी जड़ों को थोड़े पास से |
1. राजा दशरथ की एक पुत्री भी थी और इस प्रकार हुआ था श्री राम का जन्म :
भगवान श्री राम और उनके भाइयों के जन्म से पहले राजा दशरथ और रानी कौशल्या के एक पुत्री थी | उनकी इस पुत्री का ना 'शांता' था | एक बार रानी कौशल्या की बड़ी बहन 'वर्शिनी' और उनके पति राजा 'रोमपद' अयोध्या भ्रमण पर आये | वर्शिनी और रोमपद की कोई भी संतान नहीं थी | शांता को खेलते देख वर्शिनी ने हँसी करते हुए कहा की काश उसकी भी कोई कन्या संतान होती | यह सुनकर रजा दशरथ ने वचन दिया की शांता को वो गोद ले सकते है और रघुकुल रीत में प्राण दे सकते है पर अपने वचन को मिथ्या नहीं कर सकते |
आगे चलकर शांता का विवाह एक तपस्वी ऋषि श्रृंगी से हुआ | काफी वर्षों तक कोई संतान न प्राप्त करने की वजह से राजा दशरथ ने श्रृंगी ऋषि की शरण ली और संतान प्राप्ति हेतु यज्ञ करवाया जिससे भगवान् श्री राम और उनके भाइयों का जन्म हुआ |
2. रावण के दशानन बनने की कहानी :
रावण एक कुलीन वंश का ब्राह्मण था | बचपन से ही वो शास्त्रों और वेदों का ज्ञान रखता था | अपनी आगे की शिक्षा ग्रहण करने के लिए वो गुरुकुल गया जहाँ पढ़ाई के दौरान वो भगवान शंकर के व्यक्तित्व से बहुत ही प्रभवित हुआ |मन ही मन उसने भगवान शिव को अपना आराध्य देव मान लिया और गुरुकुल से शिक्षा पूरी करने के बाद शक्ति और बल अर्जित करने हेतु भगवान् शिव की तपस्या करने लगा | वर्षो की कठोर तपस्या के बाद भी भगवान् शिव ने दर्शन नहीं दिए तो उसने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अपना शीश काट कर अर्पित कर दिया | परन्तु जैसे ही वो शीश काटे एक दूसरा शीश अपने आप आ जाया करता | ऐसा कुल 10 बार हुआ और तत्पश्चात भगवान् शिव ने रावण को दर्शन दिए और फलस्वरूप उसे शक्ति और 10 सिरों को स्वामी बनाया |
3. लक्ष्मण नहीं सोये थे 14 वर्षों तक :
जब प्रभु श्री राम 14 वर्षों के वनवास के लिए अयोध्या से निकल रहे थे तब उनके साथ माता सीता और भ्राता लक्ष्मण भी जाने को तैयार हुए | लक्ष्मण के साथ उनकी पत्नी उर्मिला भी वैन में जाने की जिद करने लगी पर लक्ष्मण ने उन्हें अयोध्या में ही रुककर माताओं की सेवा करने को कहा |
जब वन में लक्षमण लगातार प्रभु राम और माता सीता की रक्षा में लगे हुए थे तब उनको रात्रि में नीद से भी संघर्ष करना पड़ रहा था | इस परेशानी के हल के लिए लक्ष्मण नींद की देवी 'निद्रा' के पास गए | देवी निद्रा ने उनसे कहा की अगर आप ना सो सके तो आपकी जगह किसी और को सोना होगा | इसपर लक्ष्मण ने अपनी पत्नी उर्मिला का नाम दिया | इसके पश्चात् लक्ष्मण 14 वर्ष तक नहीं सोये और उर्मिला उनकी जगह सोती रहीं | माता निद्रा के इस वरदान की वजह से ही लक्ष्मण ने मेघनाद को रण में पराजित किया क्योंकि मेघनाद को वरदान प्राप्त था की वो सिर्फ उसी से हार सकता है जिसने निद्रा पर विजय पा ली हो |
4. श्री राम और उनके भाई किसके अवतार थे ?
जैसा की हम सब जानते हैं की रामायण में श्री राम भगवान विष्णु के अवतार थे | पर हममे से बहुत से लोगो को ये नहीं पता की उनके अन्य भाई लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न किन-किन देवताओं के अवतार थे | आइये हम आपको आज बताते हैं इस तथ्य के बारे में | जब भगवान् विष्णु ने धरती पर श्री राम के रूप में अवतार लेने की घोषणा की तब वैकुंठ के उनकी शैया भगवान् शेषनाग, उनके सुदर्शन चक्र और शंख ने भी उनके साथ धरती पर आने की इक्षा जताई | तब भगवान् विष्णु ने उनको आश्वासन दिया की वो सभी उनके भाइयों के रूप में ही जन्म लेंगे | तभी लक्ष्मण को शेषनाग का अवतार कहा जाता है, भरत को सुदर्शन चक्र और शत्रुघ्न को शंख का |
5. रामायण के अक्षरों में छिपा है गायत्री मंत्र :
जी हाँ, वाल्मीकि रामायण में कुल 24000 श्लोक है और गायत्री मंत्र में 24 अक्षर | तो वाल्मीकि रामायण के हर 1000 श्लोक के बाद जो पहला अक्षर आता है वो गायत्री मंत्र का होता है |
हाँलाकि गायत्री मंत्र की प्रथम विवेचना ऋग वेद में हुई है पर उसे ख्याति रामायण के इस तथ्य के वजह से मिली |
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