क्या सच में श्री राम ने भेजा था लक्ष्मण को रावण के पास ?
श्री राम ने विभीषण के सुझाव पर दशानन के नाभि में रखे अमृत कलश पे निशाना साधा और बाण चला दिया | उसके फलस्वरूप दशानन तुरंत ही धरती पर गिर गया | अगले कुछ ही पलों में उसकी मृत्यु होनी तय थी | तब श्री राम ने लक्ष्मण से कहा की वो जेक रावन से उसके अंत समय में कुछ ज्ञान अर्जित कर लें | भले ही रावण कितना भी पापी और दुष्ट था परन्तु उस जैसा ओजवान और ज्ञानवान ब्राह्मण पूरी धरती पर नहीं था |
अपने भ्राता की आज्ञा स्वीकार करते हुए लक्ष्मण रावण के पास जातें है | रावण लक्ष्मण के सामने यह शर्त रखता है की अगर वो उसके चरणों के पास बैठेंगे और उसे गुरु मानेंगे तभी वो उसे ज्ञान देंगे | इस बात से रुष्ट होकर लक्ष्मण वापस श्री राम के पास आ गये | श्री राम के फिर समझाने के बाद लक्ष्मण रावण के पास गए और उसके चरणों के पास एक विद्यार्थी के जैसे बैठ गये |
रावण की लक्ष्मण को सीख :
1. कभी भी अपने सारथी, द्वाररक्षक, बावर्ची और भाई से शत्रुता मत करना | ये तुम्हे कभी भी हानि पंहुचा सकते है |
2. अपने आप को कभी भी विजेता मत समझना भले भी तुम हर राण जीत रहे हो |
3. हमेशा उस मंत्री का भरोसा करना जो तुम्हारी खुल के आलोचना करता है |
4. अपने शत्रु को कभी भी छोटा और कमज़ोर मत समझना जैसा की मैंने हनुमान को समझा था |
5. तुम अपनी नियति से कभी भी नहीं भाग सकते, वो तुमको तुम्हारे निर्धारित अंत पर पहुचा देगी |
6. तुम चाहे आस्तिक रहो या नास्तिक पर जो भी रहो पूरी श्रद्धा से रहो |
7. यश कमाने की अगर इक्षा है तो तुम्हे अपने अन्दर के लालच को मरना पड़ेगा |
8. एक सफल राजा वही है जो अपनी प्रजा के सुख के लिए छोटे से छोटा फैसला बिना किसी टालमटोल के कर दे |
9. भले ही तुमने कितने भी बुरे कर्म किये हो पर तुम बिना समय गवाये इस पथ को छोड़ सकते हो और चाहे तुमने अबतक कोई भी सत्कर्म न किया हो पर तुम बिना समय गवाये इस पथ पर बढ़ सकते हो |