क्या है शरद पूर्णिमा ?
हिंदी पंचांग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते है | आज ही के दिन भगवान श्री कृष्ण ने महारास रचाया था | ऐसी मान्यता है इस रात्रि को चन्द्रमा की किरणों से अमृत झड़ता है। तभी इस दिन उत्तर भारत में खीर बनाकर रात भर चाँदनी में रखने का विधान है। चन्द्रमा से बरसे अमृत की वजह से खीर खाने का महत्वा बहुत है | इस खीर को खाने से हमें स्वास्थ्य लाभ भी होता है |
शरद पूर्णिमा से जुड़ी कथा :
एक साहुकार की 2 पुत्रियाँ थी। दोनो पुत्रियाँ पुर्णिमा का व्रत रखती थी। परन्तु बड़ी पुत्री पूरा व्रत करती थी और छोटी पुत्री अधूरा व्रत करती थी। परिणाम यह हुआ कि छोटी पुत्री की सन्तान पैदा होते ही मर जाती थी। उसने पंडितो से इसका कारण पूछा तो उन्होने बताया की तुम पूर्णिमा का अधूरा व्रत करती थी जिसके कारण तुम्हारी सन्तान पैदा होते ही मर जाती है। पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपुर्वक करने से तुम्हारी सन्तान जीवित रह सकती है।उसने पंडितों की सलाह पर पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक किया। उसको लड़का हुआ परन्तु शीघ्र ही मर गया। उसने लड़के को पीढे पर लिटाकर ऊपर से कपड़ा ढक दिया। फिर बड़ी बहन को बुलाकर लाई और बैठने के लिए वही पीढा दे दिया।
बडी बहन जब पीढे पर बैठने लगी जो उसका घाघरा बच्चे को छू गया। बच्चा घाघरा छुते ही रोने लगा। बड़ी बहन बोली :
” तु मुझे कंलक लगाना चाहती थी। मेरे बैठने से यह मर जाता।“
तब छोटी बहन बोली :
” यह तो पहले से मरा हुआ था। तेरे ही भाग्य से यह जीवित हो गया है। तेरे पुण्य से ही यह जीवित हुआ है। “
उसके बाद नगर में उसने पुर्णिमा का पूरा व्रत करने का ढिंढोरा पिटवा दिया।