विजयादशमी का महत्व :
विजयादशमी, दशहरा, दसारा एवं अन्य नामों से भारत के विभिन्न भागों में प्रचलित ये त्योहार नवरात्र के अगले दिन मनाया जाता है | दशहरा अपने नाम में ही सारी कहानियां समेटे हुए है | 'दस' और 'हरा' 10 शीशों वाले रावण पर भगवान श्री राम की विजय का प्रतीक है | दशहरा मिलन है प्रभु श्री राम का माता सीता से | दशहरा व्रत है पूरी वानर सेना का जो लंका विध्वंस के बाद पूरा हो जाता है | ये सिर्फ अच्छाई पर बुराई की जीत को नहीं बतलाता बल्कि ये हौसला देता है की जीवन की विषम परिस्थितियों में भी अगर संयम, धीरज और विश्वास हो तो आप अपने अंतः मन में बैठे रावण को भी हरा सकते है |![]() |
राम-रावण युद्ध का एक चित्रण |
विजयादशमी पूजन मुहूर्त :
आज के इस यांत्रिक युग में भी हम अपनी जड़ों से जुड़े हुए है और उन सारे रीति-रिवाजों को मानते है जिनसे हमें और हमारे पूर्वजों ने लाभ उठाया | नवरात्रि समाप्त होते ही दशमी तिथि प्रारंभ होती है | पूरे १ दिन हमारे पास होता है दशमी पूजन का जिसमे एक ऐसा खास मुहूर्त है जिसमे पूजन से शत-प्रतिशत सफलता का अनुमान है |
आइये हम आपको इस बार दशमी पूजन के सारे मुहूर्त एक एक करके बताते हैं |
दशमी तिथि प्रारंभ = 22:53 बजे से ,10/10/2016
दशमी तिथि अंत = 22:28 बजे तक 11/10/2016
दशमी तिथि अंत = 22:28 बजे तक 11/10/2016
दशमी तिथि के मध्य में कुछ पल के लिए एक विजय मुहूर्त आता है जिसमे अगर प्रार्थी सच्चे मन से पूजा करे तो उसे अपने दुखो, भय और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है | तो आइये हम आपको अवगत कराये इस दैविक मुहूर्त से ताकि आप भी अपने आगामी जीवन में सदा सफलता प्राप्त करें |
विजय मुहूर्त = 14:21 बजे से 15:08 बजे तक (0 घंटा 46 मिनट)
अपराह्न् पूजा समय = 13:35 बजे से 15:55 बजे तक (2 घंटा 19 मिनट)
हमारी पूरी टीम की तरफ से आपको दशहरा की ढेरों शुभकामनाये | भगवान श्री राम आपके जीवन में मंगल करे | सब मंगल मंगल हो |