भारत देश आस्था और चमत्कार को नमन करने वाला देश है । भगवान श्री कृष्ण को पुरे भारत वर्ष में माना जाता है। उत्तर प्रदेश में स्थित वृन्दावन को भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि और कर्मभूमि दोनों माना जाता है, वैसे तो कन्हैया जी का जन्म वृन्दावन के पास मथुरा में हुआ था लेकिन इनका बचपन वृन्दावन में ही व्यतीत हुआ था । भगवान श्री कृष्ण अपनी गोपियो के साथ व्रज की गलियो में खेला करते थे और उन्हें छेड़ते थे । एक दिन श्री कृष्ण ने राधा रानी और अपनी गोपियो के साथ मिलकर निधिवन नाम के जंगल में अलौकिक रास रचाया था । इस बात का हमारे पुराण और कुछ लोगो ने अपनी आखो से देखा इसलिए सब इस बात का दावा भी करते है।
ऐसी मान्यता है की निधिवन में आज भी भगवान श्री कृष्ण प्रतिदिन यहाँ आकर राधा रानी के साथ रास रचाते है । यही मात्र एक कारण है जिससे निधिवन प्रतिदिन सुबह को खुलता है और संध्या आरती के बाद बंद कर दिया जाता है । उसके बाद यहाँ पर कोई भी बिराजमान नहीं होता है । यहाँ तक कहा जाता है की निधिवन में रहने वाले पशु-पछी भी संध्या के बाद वन को छोड़कर चले जाते है । इसलिए ही निधिवन दिन में दर्शन के लिए खुलता है और शाम को बंद हो जाता है ।
छिपकर देखी रासलीला तो खो बैठोगे मानसिक संतुलन
शाम होते ही निधिवन को बंद कर दिया जाता है और यहाँ रहने वाले सभी लोग, पशु पछी और बन्दर यहाँ से शाम को पलायन कर जाते है । यहाँ ऐसी मान्यता है कि अर्द्धरात्री को भगवान कृष्ण राधा रानी के साथ रास रसाने आते है । यदि कोई व्यक्ति छुपकर रासलीला देखने की कोशिश करता है तो वो पागल हो जाता है या अपना मानसिक संतुलन खो बैठता है ।
एक बार एक कृष्ण भक्त जो जयपुर से आया था, रासलीला देखने के लिए निधिवन में छिपकर बैठ गया । जब प्रात: काल में निधिवन खुला तो वो भक्त भेहोस अवस्था में मिला यानि वो अपना मानसिक संतुलन खो चूका था। इस प्रकार बहुत ही और घटना यहाँ पर घट चुकी है। ऐसे ही एक पागल बाबा थे जो कि भगवान श्री कृष्ण के परम भक्त थे। एक बार उन्होंने भी निधिवन में छुपकर कृष्ण जी की रासलीला देखने की कोशिश करी तो फिर तो उनके साथ भी ऐसा ही हुआ जिससे वो पागल बन गए । जैसा की भगवान कृष्ण के परम भक्त थे तो निधिवन में ही उनकी समाधि दी गयी ।
रंगमहल में सजती है कृष्ण और राधा की सेज
वृन्दावन में स्थित निधि वन के अंदर ही है ‘रंग महल’ है जिसके बारे में ऐसी मान्यता है कि प्रतिदिन रात यहाँ पर राधा और कृष्ण जी आते है। रंग महल में राधा और कृष्ण जी के लिए रखे गए चंदन की पलंग को शाम सात बजे के पहले पहले सजा दिया जाता है। पलंग के पास में एक लोटा पानी, राधाजी के श्रृंगार का सामान और दातुन और पान रख दिया जाता है।
सुबह पांच बजे जब ‘रंग महल’ का पट खुलता है तो बिस्तर अस्त-व्यस्त, लोटे का पानी खत्म , दातुन कुची हुई और पान खाया हुआ मिलता है जिससे साबित भी हो जाता है कि रात में जरूर कोई यहाँ पर आया है । वो और कोई नहीं भगवान कृष्ण जी अपनी राधा रानी के साथ आते है । रंगमहल में भक्त केवल श्रृंगार का सामान ही चढ़ाते है और प्रसाद स्वरुप उन्हें भी श्रृंगार का सामान प्राप्त होता है ।
आपने आज तक पेड़ ऊपर की तरफ बढ़ते हुए देखने होंगे जबकि यहाँ के पेड़ जमीन की ओर बढ़ते है
निधि वन के पेड़ भी बहुत ही अजीब है। आज तक हर पेड़ की शाखाएं ऊपर की और बढ़ती है जबकि निधि वन के पेड़ो की शाखाएं नीचे जमीन की और बढ़ती है। यहाँ इतना बुरा हाल है कि रास्ता बनाने के लिए इन पेड़ों को डंडों के सहारे रोक जाता है ।
क्या आप जानते है निधिवन के तुलसी के पेड़ गोपियां बनते है
यहाँ कि एक खास बात यह है कि निधि वन में तुलसी का हर पेड़ जोड़े में है। इसके पीछे यह मान्यता है कि जब राधा संग भगवान कृष्ण वन में रास रचाते हैं तब जोड़ेदार पेड़ गोपियां बन जाती हैं। और जैसे ही सुबह होती है तो सब पेड़ फिर से तुलसी के पेड़ में बदल जाती हैं।
निधिवन में ही स्थित है वंशी चोरी राधा रानी का मंदिर
वंशी चोर राधा रानी का एक सुंदर मंदिर भी इस वन के अंदर ही है । भगवान श्री कृष्ण को पुरे समय वंशी बजाने का बहुत ही शोक था जिसके चलते वो राधा जी को समय भी नहीं दे पाते थे । ऐसा देखकर राधा रानी ने उनकी वंशी चुरा ली ।
विशाखा कुंड:कैसे भुजाई भगवान श्री कृष्ण ने अपनी सखी की प्यास
भगवान श्रीकृष्ण अपनी सखियों के साथ इस स्थान पर ही रास रचाया करते थे, एक बार कृष्ण जी की एक सखी विशाखा को प्यास लगी लेकिन वहाँ पर पानी की कोई भी व्यवस्था न देख श्री कृष्ण जी ने अपनी वंशी से कुंड की खुदाई कर दी, जिसमें से निकले पानी को पीकर विशाखा सखी ने अपनी प्यास बुझायी। इस कुंड का नाम तभी से विशाखा कुंड रख दिया गया ।
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