Hinduism

आज देवता यहाँ मना रहे है दीपावली, आप कहाँ हो ? | Everything that you want to know about Dev Deepawali



क्या है देव दीपावली ?

जैसा की नाम सुझाता है ये दिवाली है देवताओं की | आज के दिन ऐसी मान्यता है की स्वर्ग से सारे देवी देवता उतरकर गंगा नदी में स्नान करते है और उसी के किनारे घाट पर बैठकर दीपावली मानते है | देव दीपावली का त्यौहार कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है | देव दीपावली का त्योहार सबसे ज्यादा जोशो खरोश और धूमधाम से उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में मनाया जाता है | आज के दिन यहाँ घाटों के किनारे दिए जलाने की प्रथा है |

रीती रिवाज और पौराणिक कथा  :

ऐसी मान्यता है की पिनाक धनुष से ही महादेव ने तीनों लोकों में अधिकार कर चुके त्रिपुरासुर का वध किया था। त्रिपुरासुर ने देवताओं से उनके अधिकार छीन कर स्वयं तीनों लोकों का अधिपति बन बैठा। देवताओं की अत्यंत दयनीय दशा देखकर शिव ने तीनों लोकों में व्याप्त राक्षसों का नाश कर त्रिपुरासुर का वध किया था। 


देव दीपावली का आकर्षण सुबह से ही शुरू हो जाता है | आज के दिन ढेरों श्रद्धालु भोर से ही कार्तिक स्नान करना शुरू करते हैं और गंगा नदी में दीपदान करते हैं | आज के दिन माँ गंगा की आरती पढ़ने से भी सारी मनोकामनाए और और दुःख दूर हो जाते है | 


देव दीपावली का पूरा त्योहार पूरे 5 दिन चलता है जो की प्रबोधिनी एकादशी से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा पर खतम होता है | बनारस शहर में इस त्यौहार की काफी धूम रहती है |  किंवदंती है कि यहां बाबा नगरी काशी में देवगण दीपावली मनाने आते हैं. यह कार्तिक पूर्णिमा को मनायी जाती है. इस दिन सूरज ढलने के साथ ही बनारस के सभी 84 घाट दीयों से जगमगा उठते हैं. शाम जवां हो उठती है. पूनम की रात इनकी रोशनी के समक्ष चांदनी फीकी पड़ जाती है |

दशाश्वमेध घाट, शीतला घाट और राजेन्द्र प्रसाद घाट मुख्या रूप से सजाये जाते है | इसके अलावा करीब लाखों दिये से घाटों को सजा दिया जाता है |



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