कौन थे साईं बाबा ?
एक 16 साल का लड़का जो कहाँ से आया था, किसका बेटा था, क्या खाके जिन्दा रहता था किसी को नहीं पता | वो रात में जंगलों में चला जाता था, निर्भय, निडर जैसे की मानो सारा जंगल ही उसका घर हो | पूरा शिरडी उसके चमत्कार देख स्तब्ध रह जाता था | वो धीरे-धीरे अपने आचरण और व्यवहार से पूरे गाँव में घुलता गया, आहिस्ता-आहिस्ता जैसे शक्कर के दाने घुलते हैं पानी में बिलकुल वैसे ही | वो जिनकी भी ज़िन्दगी वाली शरबत में घुला सिर्फ मिठास ही बढ़ाई | जी हाँ हम आज बताने वाले है आपको करोड़ों लोगो के प्रेरणास्रोत शिरडी के साईं बाबा के बारे में |
प्रारंभिक जीवन :
साईं बाबा के जन्म की कोई भी सटीक तारीख आदमजात के पास नहीं है | पर उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर साईं बाबा का जन्म सन 1835 में हुआ था | उनके असली माता पिता कौन थे इस बात की भी जानकारी हमारे पास नहीं है | यहाँ तक की उनके असली नाम के बारे में भी किसी को नहीं पता | उन्होंने अपने जीवन का सारा हिस्सा शिरडी में ही व्यतीत किया जिस वजह से उन्हें लोग शिरडी के साईं बाबा कहते है | साईं बाबा के धर्म को अभी भी उनके अनुयायियों में मतभेद हैं पर उनके मानव कल्याण के मंत्र पर हर धर्म एकजुट दिखाई देता है |
साईं परिचय :
भक्तों और इतिहासकार इस बात से सहमत हैं कि साईं बाबा के जन्म स्थान और तिथि के सन्दर्भ में कोई भी विश्वनीय स्रोत उपलब्द्ध नहीं है। इस बात की हमें जानकारी है कि उन्होंने काफ़ी समय मुस्लिम फकीरों संग व्यतित किया लेकिन माना जाता है कि उन्होंने किसी के साथ कोई भी व्यवहार धर्म के आधार पर नहीं किया। उनके एक शिष्य दास गनु द्वारा पथरी गांव पर तत्कालीन काल पर शोध किया जिसके चार पृष्ठों में साईं के बाल्यकाल का पुनःनिर्मित किया है जिसे श्री साईं गुरुचरित्र भी कहा जाता है।
उन्हें अपने मान अपमान की कभी चिंता नहीं सताती थी| वे साधारण मनुष्यों के साथ मिलकर रहते थे, न्रत्य देखते, गजल व कवाली सुनते हुए अपना सिर हिलाकर उनकी प्रशंसा भी करते| इतना सब कुछ होते हुए भी उनकी समाधि भंग न होती| जब दुनिया जागती थी तब वह सोते थे, जब दुनिया सोती थी तब वह जागते थे| बाबा ने स्वयं को कभी भगवान नहीं माना| वह प्रत्येक चमत्कार को भगवान का वरदान मानते| सुख - दुःख उनपर कोई प्रभाव न डालते थे| उनका हर जाती धर्म के लिए सिर्फ एक ही सन्देश था 'सबका मालिक एक' |
साईं फोटो गैलरी :
आइये हम आपको दर्शन करते है साईं बाबा के अनुपम रूप का |