कैसे हुई भगवान श्री कृष्ण की मृत्यु ?
श्राप का कारन :
महाभारत के युद्ध के पश्चात `भगवान श्री कृष्ण कौरवों के नाश पर अपनी संवेदना व्यक्त करने गांधारी के पास पहुंचे | गांधारी भगवान श्री कृष्ण को देखते ही क्रुद्ध हो गयी | श्री कृष्ण ने उनसे अपने मन का दुःख व्यक्त करना शुरू किया परन्तु गांधारी को श्री कृष्ण का ये सा करना झूठ लगा और वो उनपर अत्यंत ही कुपित हो उठी | क्रोध के आवेश में आकर गांधारी ने श्री कृष्ण को श्राप दिया की जिस प्रकार इस महाभारत के युद्ध में कौरवों का विनाश हुआ ठीक उसी प्रकार आने वाले निकट भविष्य में यादवों का भी नाश हो जायेगा | उनसे धन-धान्य हर सुख-समृद्धि की चीजे ख़त्म हो जाएँगी | और यादवो के अंत के साथ हे कृष्ण तुम्हारा भी अंत हो जायेगा |
मृत्यु कथा :
इस श्राप के कई वर्षो पश्चात ठीक वैसा ही हुआ जैसा गांधारी ने कहा था | यादव कुल आपस में ही लड़ने लगा और धीरे-धीरे समाप्त हो गया | अपने ही कुल का इस प्रकार से नाश देखकर भगवान श्री कृष्ण बहुत ही व्यथित हुए और प्राण दाह करने जंगल चले गए | वहाँ वो एक वृक्ष के नीचे बैठ कर विश्राम कर रहे थे की तभी एक 'जरा' नाम का शिकारी वहां आया | वृक्षों की आड़ में बैठे भगवान कृष्ण के पैर का तलवा शिकारी को दिखा और उसने उस तलवे को हिरन समझ कर निशाना लगा दिया | तीर जाकर श्री कृष्ण को जा लगा और यही तीर उनकी मृत्यु का कारन बना |