आज के फाइटर प्लेन फेल थे इस त्रेतायुग के विमान के आगे | Everything you want to know about Pushpak Viman



क्या है ये पुष्पक विमान ?

भारतीय इतिहास में सबसे प्राचीन विमान के रूप में पुष्पक विमान का जिक्र सबसे पहले वाल्मीकि रामायण में मिलता है। त्रेतायुग में श्री राम के जन्म का वर्णन किया जाता है और उसी काल में पुष्पक विमान के भी होने की बात कही गयी है। वैदिक साहित्य में देवताओं के विमानों की चर्चा है, लेकिन दैत्यों और मनुष्यों द्वारा उपयोग किया गया पहला विमान पुष्पक ही माना जाता है।

किसने की थी पुष्पक विमान की रचना ?

वाल्मीकि रामायण के अनुसार भगवान् विश्वकर्मा ने ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने के लिए पुष्पक विमान का निर्माण किया था। उन्होंने इस विमान को भगवान ब्रह्मा को उपहार स्वरुप दिया। तत्पश्चात भगवान् ब्रह्मा ने इस विमान को अपने मानस पुत्र कुबेर को उपहार में प्रदान किया।


कुबेर से ही इस विमान को रावण ने छीना था। रामायण के अनुसार इस विमान की विशेषता यह थी कि इसका स्वामी जो मन में विचार करता था, उसी का यह पालन करता था। यह एक तेजी से चलने वाला, दुर्लभ और विचित्र चीजों का संग्रह था। पौराणिक संदर्भों में विज्ञान की खोज करने वालों की मान्यता है कि प्राचीन भारतीय विज्ञान आधुनिक विज्ञान की तुलना में अधिक संपन्न था।


अंत में किसके पास गया पुष्पक विमान ?


ऐसा भी माना जाता है की इस विमान में कितने भी लोगों के बैठने के बाद भी एक स्थान रिक्त ही रहता था। इस विमान की सबसे बड़ी खासियत ये थी की ये अपने आप ही अपना आकर बदल लेता था।
इस लिहाज से इस विमान का अस्तित्व और उसकी प्रमाणिकता स्वीकारी जाती है। इसके पीछे तर्क या प्रमाण उपलब्ध नहीं है, लेकिन प्राचीन भारतीयों की वैज्ञानिक क्षमता में विश्वास करने वाले जानते हैँ कि यह विमान था और तत्कालीन विज्ञान का सबसे अच्छा नमूना था। भगवान राम रावण पर विजय के बाद इसी विमान से अयोध्या लौटे थे। भगवान राम ने ने उपयोग के बाद पूजन कर यह दिव्य विमान वापस कुबेर को लौटा दिया था।



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