Hinduism

जो असुर करीब करीब अमर था, कैसे किया भगवान विष्णु ने उसका वध ? | How did lord Vishnu kill Hiranyakashyap?



कौन था हिरण्यकश्यप ?

आज से हज़ारों साल पहले धरती पर एक बहुत ही अत्याचारी असुर का जन्म हुआ था | वो अपने जन्म से ही अत्यधिक महत्वाकांक्षी था | वो अब तक के इतिहास में सबसे प्रबल और प्रभावशाली असुर राजा बनना चाहता था | अपनी माता और गुरु शुक्राचार्य की प्रेरणा से उसने ब्रह्मा जी की घोर तपस्या की और उनसे अमरता का वरदान माँगा | भगवान् ब्रह्मा ने उसके इस वरदान को प्रकृति के नियमों के खिलाफ बताया और उसे कोई और वरदान मांगने को कहा | इसपर हिरण्यकश्यप ने ब्रह्मा जी से माँगा की संसार का कोई भी जीव-जन्तु, देवी-देवता, राक्षस या मनुष्य उसे न मार सके | न ही वह रात में मरे, न दिन में, न पृथ्वी पर, न आकाश में, न घर में, न बाहर |यहां तक कि कोई शस्त्र भी उसे न मार पाए | ब्रह्मा जी ने उसके इस वरदान पे स्वीकृति दे दी | पर उन्हें इस बात का अंदाज़ा नहीं था की इस वरदान का कितना दुष्परिणाम धरती पर पड़ने वाला था | 

भक्त प्रहलाद को बचाने के लिये लिया नरसिंह अवतार :

हिरण्यकश्यप के यहां प्रहलाद जैसा परमात्मा में अटूट विश्वास करने वाला भक्त पुत्र पैदा हुआ | प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था और उस पर भगवान विष्णु की कृपा-दृष्टि थी | हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को आदेश दिया कि वह उसके अतिरिक्त किसी अन्य की स्तुति न करे | प्रह्लाद के न मानने पर हिरण्यकश्यप उसे जान से मारने पर उतारू हो गया | उसने प्रह्लाद को मारने के अनेक उपाय किए लेकिन व प्रभु-कृपा से बचता रहा |


हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को अग्नि से बचने का वरदान था | उसको वरदान मिला था की वो आग में नहीं जल सकती थी | हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका की सहायता से प्रहलाद को आग में जलाकर मारने की योजना बनाई |

होलिका बालक प्रहलाद को गोद में उठा जलाकर मारने के उद्देश्य से धूं-धू करती आग में  जा बैठी | प्रभु-कृपा से होलिका जल कर वहीं भस्म हो गई और प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ | इस प्रकार प्रह्लाद को मारने के प्रयास में होलिका की मृत्यु हो गई | तभी से होली का त्योहार मनाया जाने लगा | 


तत्पश्चात् हिरण्यकश्यप प्रहलाद को मारने खुद ही उठा | उसी क्षण हिरण्यकश्यप को मारने के लिए भगवान विष्णु नरंसिंह अवतार में  खंभे से निकल कर गोधूली समय में प्रकट हुए | उन्होंने दरवाजे की चौखट पर बैठकर अत्याचारी हिरण्यकश्यप को अपनी जंघा पर लिटाया और अपने नाखूनों से उसका पेट चीर डाला | 


इस प्रकार भगवान् ने अपने भक्त की रक्षा की |



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