Hinduism

परशुराम : भगवान विष्णु का वो अवतार जिसने अपनी माँ का सिर काट दिया था | Why Parshuram cut down his mother's head?



कौन थे परशुराम ? कब हुआ था जन्म ?

प्राचीन काल में एक गाधि नाम के राजा थे | उनकी एक अत्यंत ही रूपवती कन्या सत्यवती थी | राजा अपनी पुत्री का विवाह एक अत्यंत ही विद्वान पुरुष से करना चाहते थे | इसलिए राजा ने भृगु ऋषि के पुत्र के साथ सत्यवती का विवाह सुनिश्चित किया | इस मंगल अवसर पर भृगु ऋषि अपनी पुत्रवधू को आशीर्वाद देने आये | आशीर्वाद स्वरुप उन्होंने सत्यवती को कोई भी वरदान मांगने को कहा | 


इस पर सत्यवती ने अपनी माता को एक यशस्वी पुत्र प्राप्त हो ऐसा वरदान माँगा | तब ऋषि ने सत्यवती को दो पात्र दिए और कहा इनमे से एक अपनी माता को दे देना और एक का सेवन खुद करना | पर सत्यवती की माता ने दोनों पात्रों की अदला बदली कर दी | इस वजह से सत्यवती को ब्राह्मण पुत्र की प्राप्ति तो होती पर उसका आचरण क्षत्रियों जैसा होता | ऋषि भृगु ने ये बात सत्यवती को बताई तब सत्यवती ने ऋषि से निवेदन किया की वो उन्हें ऐसा वरदान दे की उनका पुत्र ब्राह्मण जैसा आचरण करे पर उनका पौत्र क्षत्रिय जैसा आचरण करे | ऋषि ने सत्यवती की बात मान ली और आगे चलकर भविष्य में सत्यवती को जमदग्नि पुत्र रूप में और परशुराम पौत्र रूप में प्राप्त हुए |

ऐसा क्या हुआ की एक पुत्र ने अपनी माँ का काट दिया सिर ?

बचपन से परशुराम माता पिता के प्रति अति आज्ञाकारी थे | माता पिता का कहा उनसे कभी ना टाला जाता | एक बार की बात है परशुराम के पिता जमदग्नि ऋषि को यज्ञ करना था जिसके लिए उन्होंने अपनी पत्नी रेणुका को वैन में जेक जल और लकड़ियाँ लाने को कहा | वैन में गन्धर्वराज चित्ररथ अपनी अप्सराओं के साथ विहार कर रहे थे | रेणुका उनको देख आसक्त हो गयी और यज्ञ के मुहूर्त के बाद पहुंची | 


पहले से ही क्रोधित जमदग्नि ऋषि ने जब कारण पूछा तब उन्होंने झूठ बोल दिया | जमदग्नि को असल कारण तो अपनी दिव्यशक्ति से पता था पर रेणुका के ऐसे झूठ बोलने से वो क्रोधित हो उठे और उन्होंने अपने पुत्रों से रेणुका का सर काटने को कहा | 5 में से 4 पुत्रों में इस आगया का पालन नहीं किया तब ऋषि ने परशुराम को आज्ञा दी की अपने भाइयों के साथ अपनी माँ का भी सर काट दो | आज्ञा मिलते ही परशुराम ने बिना कोई क्षण गवाएं अपनी माता और 4 भाइयों के सर काट दिए | 


पुत्र की आज्ञाकारिता देख कर मुनि अत्यंत प्रसन्न हुए और परशुराम को कोई भी वरदान मांगने को कहा | तब परशुराम ने उसने अपनी माता और भाइयों को पुनः जीवित और उनकी यादाश्त से ये सर काटने वाले प्रसंग को भुलाने का वरदान माँगा | ऋषि ने ऐसा ही किया और परशुराम को मनोवांछित वरदान मिला |



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