जब पापा बाबू थे (ऑफिस वाले बाबू ) तब घर में एक ब्लैक एंड वाइट टी.वी हुआ करती थी वो भी सिर्फ दूरदर्शन के साथ। सत्यम, शिवम्, सुंदरम के घूमते चक्र के ख़त्म होते ही रामायण शुरू होता था। और फिर घर की दालान में मज़मा लगता था। मम्मी को, पापा को, बगल वाली दुबाईन को, वर्मा अंकल को, शिवानी को, बिट्टू को, हर किसी को श्री राम ही पसंद थे। सब उनके आते ही हाथ जोड़ लेते थे। जब सारे श्री राम की भक्ति में लीन रहते थे तब मैं हुनमान जी का स्क्रीन पर इंतज़ार करता था। मतलब की पागल था उनके लिए। ढेरों किस्से ऐसे बीते जिसने रामायण को ज़ेहन में टांक दिया। तो आइये आज आपकी याददाश्त थोड़ी चेक कर लेते है की आपको रामायण में मिले इन 3 बड़े श्राप याद है या नहीं।
1. राजा दशरथ को मिला था श्राप :
महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखी गई रामायण के अनुसार राजा दशरथ जब युवावस्था में थे तो उन्हें ‘शब्दभेदी’ बाण विद्या का ज्ञान प्राप्त था। यह एक ऐसी विद्या थी जिसकी मदद से बंद आंखों से भी केवल एक आवाज़ सुनने से सही निशाने पर बाण चलाया जा सकता था। वे सरयू नदी के निकट पहुंचे और तभी उन्हें एक हाथी के पानी पीने की आवाज़ सुनाई दी। उन्होंने अपने शब्दभेदी ज्ञान से उस दिशा में तीर छोड़ा लेकिन अगले ही पल किसी मनुष्य के दर्द से चिल्लाने की आवाज़ सुनाई दी। दरअसल दशरथ द्वारा चलाया गया बाण उस युवक को लगा था जिसका नाम श्रवण था। श्रवण ने अपनी मृत्यु से पहले दशरथ से वचन माँगा की वो श्रवण की मृत्यु की खबर उसके माता पिता को देंगे। दशरथ में ऐसा ही किया।
यह खबर सुन श्रवण के पिता ने राजा दशरथ को श्राप दिया और कहा, “जिस प्रकार आज अपने पुत्र की मृत्यु से मैं तड़प रहा हूं, ठीक इसी प्रकार तुम भी अपने पुत्रों से अलग हो जाओगे और उनके वियोग में मर जाओगे।“ इस श्राप ने वर्षों बाद अपना असर दिखाया, जब श्री राम अपने अनुज लक्ष्मण के साथ वनवास चले गए और उनके पीछे से राजा दशरथ का राम से बिछड़ने के कारण स्वर्गवास हो गया।
2. किसने दिया था श्री राम को श्राप ? :
श्री राम जिन्हें भगवान विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है उन्हें एक अप्सरा द्वारा श्राप दिया गया था। वह अप्सरा बाली वानर की पत्नी थी। यह तब की बात है जब सुग्रीव वानर जो कि श्री राम के प्रिय मित्र थे, उन्होंने भगवान राम से मदद मांगी। सुग्रीव और बाली के बीच युद्ध हुआ जिसमें भगवान राम के बाण द्वारा बाली की मृत्यु हो गई।
बाली को मरा हुआ देख उसकी पत्नी तारा ने श्रीराम को कोसा और उन्हें एक श्राप दिया। श्राप के अनुसार भगवान राम अपनी पत्नी सीता को पाने के बाद जल्द ही खो देंगे। उसने यह भी कहा कि अगले जन्म मे उनकी मृत्यु उसी के पति द्वारा हो जाएगी। अगले जन्म में भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लिया था और उनके इस अवतार का अंत एक शिकारी (जो कि वालि का ही रूप था) द्वारा किया गया था।
3. नारद जी ने भी दिया था श्राप :
भगवान हनुमान ना केवल रामायण युग का एक अहम हिस्सा थे, बल्कि मान्यता है कि उनके बिना श्रीराम कभी भी अपनी पत्नी सीता को रावण की कैद से छुड़ा ना पाते। इसके पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है जिसके अनुसार नारद द्वारा भगवान विष्णु, जिनका सातवां अवतार ही श्रीराम थे, उन्हें एक श्राप दिया गया था। इस श्राप के अनुसार नारद का कहना था कि भगवान विष्णु एक वानर पर निर्भर हो जाएंगे।
रामायण काल में ही इस श्राप का असर साफ देखने को मिला, जब भगवान श्री राम को हर समय हनुमान की आवश्यकता पड़ी। वे हनुमान ही थे जिन्होंने सीता को लंका में खोजा। हनुमान द्वारा ही इतनी बड़ी वानर सेना का निर्माण हुआ और इस सेना के भरोसे श्रीराम ने लंका के राक्षस राजा रावण पर विजय प्राप्त की।