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हम हर साल दशहरा मनाते है। रावण के कद की लंब-संब कल्पना करके एक बड़ा सा पुतला बनाते हैं और बड़े हर्सौल्लास के साथ उसे फूंक के राख कर देते है। पर हर साल इस रावण को फूंकने के बाद भी हम सब के भीतर का रावन नहीं मरता। दरअसल हम जिस रावण को बुराई का प्रतीक मानकर धू-धू कर जला देते हैं उससे बड़ा रावण हम सब अपनी अपनी पॉकेट में लिये घूम रहे हैं। रावण निश्चित तौर पर अपने युग का सबसे बड़ा खलनायक था पर अगर वो गलती से भी कलयुग में जन्म लेकर दिल्ली में रह रहा होता तो अबतक राजीव चौक पर उसकी कम से कम 10 बार जेब कटी होती। खैर, जो बुरा होने के बाद भी रावण के चरित्र में अच्छा था वो उसकी कही ये 10 बातें हैं। तो आइये पढ़ते हैं रावण संहिता में कही रावण की इन 10 बातो को।
1. अपने सारथी, दरबार, खानसामा और भाई से दुश्मनी मोल मत लीजिए, वो कभी भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
2. खुद को हमेशा विजेता मानने की गलती मत कीजिए, भले हर बार जीत आपकी हो।
3. हमेशा उसी मंत्री अौर सारथी पर भरोसा कीजिए, जो आपकी आलोचना करता हो।
4. अपने दुश्मन को कभी छोटा मत समझिए।
5. ये गुमान कभी न पालिये कि आप किस्मत को हरा सकते हैं, भाग्य में जो लिखा होगा वो तो भोगना निश्चित है।
6. राजा को बिना टाल-मटोल किए दूसरों की भलाई करनी चाहिए।
7. जो राजा जीतना चाहता है उसे लालच से दूर रहना होगा, वरना जीत मुमकिन नहीं है।
8. ईश्वर से प्रेम करो या नफरत लेकिन जो भी करो पूरी मजबूती के साथ।
9. अपने करीबियों की सलाह को नजरंदाज न करें. रावण को कई बार उसकी पत्नी और नाना ने सही मार्ग पर चलने की सलाह दी, लेकिन रावण ने किसी की नहीं सुनी।
10. एक अच्छा राजा तभी बन सकते हैं जब आप तानाशाह ना बने।
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