आप आस्तिक हो नास्तिक हो या चाहे कोई तीसरे प्रकार हो पर अगर आपने कभी ध्यान से किसी पूजा को शुरू होते देखा होगा तो ये परखा होगा की यार हर पूजा की शुरुआत गणेश जी के आह्वान से ही होती है | भगवान शिव के वरदान की वजह से हर कथा, पूजा, यज्ञ, अनुष्ठान से पहले बुद्धि और विवेक के स्वामी गणेश जी की पूजा की जाती है | पर ये तो आप सब को पता होगा | आज हम आपको गणेश पूजा से सम्बंधित एक ऐसी कथा सुनायेंगे जो निश्चित तौर पे ज्यादा लोगो को नहीं पता होगी | तो आइये हम सुनाते है वो कथा जो बताएगी की गणेश पूजा के दौरान कभी क्यों नहीं चढ़ायी जाती तुलसी |
क्यों निषेध है तुलसी का प्रयोग :
भगवान गणेश की पूजा के बिना दुनिया का कोई भी कार्य पूरा नहीं होता. श्री गणेश का पूर्ण जीवन ही रोचक घटनाओं से भरा है और इसी में से एक है कि आखिर क्यूं श्री गणेश जी की पूजा पर तुलसी अर्पित नहीं की जाती.
प्राय: पूजा-अर्चना में भगवान को तुलसी चढ़ाना बहुत पवित्र माना जाता है | व्यावहारिक दृष्टि से भी तुलसी को औषधीय गुणों वाला पौधा माना जाता है | किंतु भगवान गणेश की पूजा में पवित्र तुलसी का प्रयोग निषेध माना गया है | इस संबंध में एक पौराणिक कथा है |
कथा जो बताएगी कारण :
एक बार श्री गणेश गंगा किनारे तप कर रहे थे | तभी विवाह की इच्छा से तीर्थ यात्रा पर निकली देवी तुलसी वहां पहुंची | वह श्री गणेश के रुप पर मोहित हो गई | तुलसी ने विवाह की इच्छा से उनका ध्यान भंग किया | तब भगवान श्री गणेश ने तुलसी द्वारा तप भंग करने को अशुभ बताया और तुलसी की मंशा जानकर स्वयं को ब्रह्मचारी बताकर उसके विवाह प्रस्ताव को नकार दिया |
इस बात से दु:खी तुलसी ने श्री गणेश के दो विवाह होने का शाप दिया | इस श्री गणेश ने भी तुलसी को शाप दे दिया कि तुम्हारी संतान असुर होगी | एक राक्षस की मां होने का शाप सुनकर तुलसी ने श्री गणेश से माफी मांगी | तब श्री गणेश ने तुलसी से कहा कि तुम्हारी संतान शंखचूर्ण राक्षस होगा | किंतु फिर तुम भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण को प्रिय होने के साथ ही कलयुग में जगत के लिए जीवन और मोक्ष देने वाली होगी | पर मेरी पूजा में तुलसी चढ़ाना शुभ नहीं माना जाएगा | तब से ही भगवान श्री गणेश जी की पूजा में तुलसी वर्जित मानी जाती है |