जब उम्र का आंकड़ा इकाई में था तब अक्सर घर में, मम्मी एक पूजा करवाती थीं | वैसे तो पूजा में कोई ख़ास रूचि नहीं थी मेरी पर पूजा के अंत में जो चरणामृत बंटता था वो अमृत था मेरे लिये | हर किसी से 1 चम्मच ज्यादा की मांग करता था मै मम्मी से | पर मम्मी ये कह के की "प्रसाद से पेट नहीं भरा जाता' मेरा मुँह चोखा सा कर देती थी | लेकिन ये 1 चम्मच चरणामृत की टीस अगली बार होने वाली पूजा में पूरी होगी ऐसा सोचकर मै इन बातों को भूल जाता और अपनी किताबों, गली क्रिकेट और दोस्तों से बतकुच्चन में मशगूल हो जाता |
तो उस पूजा का कोई नाम भी था ?
यूँ तो पूजा भी अपने आप में एक नाम है पर यहाँ जिस पूजा की बात हो रही वो है सत्यनारायण की कथा | हाँ जी वही कथा जिसके ख़त्म होने के बाद तीन बार शंख बजते थे और हम हाथ जोड़ के मन में कुछ मांग लेते थे | आजकल इस शंख की गूँज कम सुनाई देती है और शायद इस वजह से हमारा समाज दुनिया भर के शोर से बहरा होता जा रहा है |
कुछ तो बात रही होगी न जिस वजह से पहले के समय में इस कथा को एक fixed समय के बाद घर में करवाया जाता था | आज उसी कारण को हम आपसे साझा करेंगे आपसे, ताकि आपके बच्चे भी उस चरणामृत के स्वाद से वंचित न हो |
क्या है ये सत्यनारायण व्रत कथा ?
सत्यनारायण व्रत हिन्दू धर्म से सबसे श्रेष्ठ फलदायी व्रतों में से एक माना जाता है | इस व्रत की महिमा से व्यक्ति को सभी अभीष्ट वस्तुओं की प्राप्ति होती है | इस दिन भगवान विष्णु की नारायण रूप में आराधना की जाती है | इस व्रत की महिमा से नरक की पीड़ा से भी मुक्ति प्राप्त हो जाती है |
सत्यनारायण व्रत कब करें ?
मान्यतानुसार हर महीने की पूर्णिमा को सत्यनारायण जी की पूजा करने का विधान है |
सत्यनारायण व्रत विधि :
भविष्यपुराण के अनुसार सत्यनारायण व्रत रखने वाले व्यक्ति को सबसे पहले प्रातः दातून करने के बाद स्नान कर पवित्र हो जाना चाहिए | हाथ में पुष्प और तुलसी लेकर इस मंत्र द्वारा संकल्प लेना चाहिए |
नारायणं सान्द्रघनावदांत
चतुर्भुजं पीतमहार्हवाससम् |
प्रसन्नवक्त्रं नवकञज्लोचनं
सनन्दनाघैरुपसेवितं भजे | |
करोमि ते व्रतं देव सायंकाले त्वदर्चनम् |
श्रृत्वा गाथांत्वदीयां हि प्रसादं ते भजाम्यहम् | |
इसके बाद शाम के समय पूरे विधि-विधान से भगवान सत्यनारायण की पूजा करनी चाहिए | पूजा करते समय पूजा स्थल पर पांच कलशों को स्थापित करना चाहिए | नारायण प्रतिमा को पंचामृत से स्नान करवा कर चंदन, फूल, गंध, दीप, धूप आदि से उनकी पूजा करनी चाहिए | अंत में सत्यनारायण भगवान की कथा सुनकर हवन कर सब लोगों में प्रसाद बांटना चाहिए |
सत्यनारायण व्रत फल :
भविष्यपुराण के अनुसार सत्यनारायण व्रत करने वाले व्रती के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं तथा इस जन्म के पुण्य को वह अगले जन्म के शुरू में ही प्राप्त कर लेता है | यह व्रत व्यक्ति की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करता है तथा व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है |