आपने यह गौर किया होगा कि भगवान विष्णु को कई स्थानों में काले पत्थर के रूप पूजा जाता है | यही नहीं सत्य नारायण की पूजा के समय पंडित जी एक काला पत्थर साथ में रखते हैं जो विष्णु जी की मूर्ति के पास रखा जाता है और फिर पूजा शुरु की जाती है | इस पत्थर को शालिग्राम के नाम से जाना जाता है |
कैसा होता है ये शालिग्राम पत्थर ?
यह शालिग्राम पत्थर केवल गंडक नदी के तट के पास पाया जाता है | यह आमतौर पर काले या लाल रंग में मिलता है और बाक्स में रखा जाता है | जो कोई भी यह शालिग्राम पत्थर अपने घर में रखता है उसे पूजा और साफ़ सफाई का बहुत ध्यान रखना पड़ता है |
कैसे बने विष्णु शालिग्राम ?
एक समय जलंधर नाम का एक पराक्रमी असुर था | जो शिव की तीसरी आँख से उत्पन्न हुआ था | यही कारण था कि वह अत्यंत शक्तिशाली योद्धा था | इसका विवाह वृंदा नामक कन्या से हुआ | वृंदा भगवान विष्णु की परम भक्त थी | इसके पतिव्रत धर्म के कारण जलंधर अजेय हो गया था | इसने एक युद्ध में भगवान शिव को भी पराजित कर दिया |
अपने अजेय होने पर इसे अभिमान हो गया और स्वर्ग के देवताओं को परेशान करने लगा | दुःखी होकर सभी देवता भगवान विष्णु की शरण में गये और जलंधर के आतंक को समाप्त करने की प्रार्थना करने लगे | क्योंकि जलंधर को तभी हराया जा सकता जब पत्नी वृंदा पवित्रता को भांग कर दिया जाए |
सभी देवताओं ने देखा कि शिव भी उसे हरा नहीं पाये तो वे विष्णु की शरण में गए | भगवान विष्णु ने अपनी माया से जलंधर का रूप धारण कर लिया और छल से वृंदा के पतिव्रत धर्म को नष्ट कर दिया | इससे जलंधर की शक्ति क्षीण हो गयी और वह युद्ध में मारा गया | जब वृंदा ने भगवान विष्णु को छुआ तब उसे पता चला कि वह जलंधर नहीं है | और उसने पूछा कि वह कौन हैं |