भगवान् शंकर के 12 ज्योतिर्लिंगों में से जो धाम सबसे प्रिय है सैलानियों का वो है केदारनाथ धाम | गढ़वाल के ऊँचे पहाड़ जो हमेशा बादलों में घुलते नज़र आते हैं उन पहाड़ों की श्रृंखला पर बसे इस धाम को हिन्दू धर्म ही नहीं बल्कि अन्य धर्म और सम्प्रदाय के लोग भी बहुत ही पवित्र मानते हैं | ये मंदिर सिर्फ अप्रैल के महीने से लेकर कार्तिक पूर्णिमा के बीच दर्शन के लिये खोला जाता है | बाकि समय मौसम की कठिनाइयों की वजह से मंदिर के पट दर्शन के लिये बंद ही रहते हैं |
कहाँ है केदारनाथ धाम ?
उत्तराखंड के ऋषिकेश से 223km दूर, रुद्रप्रयाग जिले में एक नगर पंचायत है | इस पंचायत का नाम केदारनाथ है | हिमालय की साड़ी में, पल्लू के टोके से बंधे सिक्कों जैसा ये शहर कुछ खास है बाकियों से | समुद्र तल से करीब 3600 फीट ऊपर बसे इस छोटे से गाँव की आबादी तो मुट्ठी भर है पर यहाँ हर रोज हजारों की संख्या में सैलानी आते है | तो ऐसा क्या है केदारनाथ में जिसने इस शहर को धाम बना दिया ? आइये बताते हैं आपको आज |
क्या है केदारनाथ धाम की पूरी कहानी ?
बात सत युग की है | एक राजा हुआ करते थे इस प्रान्त के जिनका नाम था केदार | राजा की एक कन्या थीं जिनका नाम था वृंदा | अगर आपको मालूम हो तो वृंदा माता लक्ष्मी जी का ही अवतार थी और धरती पर उनका अवतरण भगवान विष्णु से विवाह के लिये हुआ था |
भगवान् शंकर के 12 ज्योतिर्लिंगों में से केदारनाथ भी एक है | इस मंदिर की आयु का अंदाजा महाभारत ग्रन्थ में उपलब्ध तथ्यों से होता है जहाँ ऐसा लिखा मिलता है की पांडवों ने भगवान शंकर की उपासना के लिये इसी मंदिर को चुना था | 5000 वर्षों से भी ज्यादा पुराने इस मंदिर की पराकाष्ठ आये दिन बढती ही रहती है | यहाँ भगवान केदारनाथ की मूर्ति का सिर्फ धड़ है | ऐसा माना जाता है की नेपाल में स्थित डोलेश्वर महादेव मंदिर में भगवान् का सर है | पुरातत्व विभाग के आला सर्वेक्षण से निकले नतीजे भी इस बात की पुष्टि करते हैं |