राहू-केतु की दशा-दिशा तो कभी भी सही नहीं दिखी | हमेशा किसी न किसी की कुंडली में बट्टा लगाने के लिये ये गृह बैठे रहते है | पहले जब अक्ल कम थी और ज्ञान (अज्ञान ) ज्यादा तब ये राहू-केतु कोई 2 अलग अलग प्राणी समझ आते थे | पर जब पौराणिक कहानिया खंगाली तो पता चला ये दोनों दरअसल एक ही हैं | हर सामान्य से आदमी की कुंडली में इन्हें पाया जा सकता है | और पाया भी क्यूँ न जाय, जो सूर्य और चन्द्रमा को नहीं छोड़ता वो हम जैसों को कैसे बख्शेगा | तो आइये जानते हैं राहू के राहू-केतु बन्ने का पूरा किस्सा |
समुद्र मंथन में 14 रत्न निकले थे उनमें अमृत भी निकला था | जब मोहनी रूप् धारण कर भगवान विष्णु देवताओं को अमृत पिला रहे थे उसी समय राहु भी देवताओं जेसा रूप् धारण कर छल से देवताओं की पंक्ति में बैठ गया और उसने देवताओं के साथ-साथ अमृत पान कर लिया |
इसलिए जरूरी हैं कि छल कपट से भरे लोगों द्वारा किये गये व्यवहार से हम सावधान रहें यदि वे अपने बुरे इरादों में कामयाब हो जाऐ तो उनके दुष्कर्मो का ग्रहण व्यक्ति पर पड़ता ही है |
कौन हैं ये राहू-केतु ?
स्कन्द पुराण के अवन्ति खंड के अनुसार उज्जैन राहु और केतु की जन्म भूमि है | सूर्य और चन्द्रमा को ग्रहण का दंश देने वाले ये दोनों छाया ग्रह उज्जैन में ही जन्मे थे | राहू-केतु से जुड़ा छल-कपट का एक प्रसिद्ध प्रसंग है | इसका सबंध सूर्य और चंद्र ग्रहण से भी है | पुराणों में चर्चा आती हैं कि नौ ग्रहों मे एक ग्रह राहू भी है | समुद्र मंथन के समय राहु देवताओं के बीच छल-कपट की नीयत से आ बैठा था |समुद्र मंथन में 14 रत्न निकले थे उनमें अमृत भी निकला था | जब मोहनी रूप् धारण कर भगवान विष्णु देवताओं को अमृत पिला रहे थे उसी समय राहु भी देवताओं जेसा रूप् धारण कर छल से देवताओं की पंक्ति में बैठ गया और उसने देवताओं के साथ-साथ अमृत पान कर लिया |
कैसे हुआ राहू के छल का अंत ?
छलीया राहु को सूर्य और चंद्रमा ने ऐसा करते हुए देख लिया उन्होंने भगवान विष्णु को तत्कल इस धोके की जानकारी दी | परिणाम स्वरूप् क्रोध में आकर भगवान विष्णु ने अपने चक्र से राहु का सिर काट दिया लेकिन चूंकि तब तक राहु अमृतपान कर चुका था अतः उसकी मृत्यु नहीं हुई उसका मस्तक वाला भाग राहु और धड़ वाला भाग केतू के रूप् मेें प्रसिद्ध हो गया |तो ये कारण है सूर्य और चंद्र ग्रहण का ?
देवताओं के साथ छल-छदम का दुष्परिणाम तो आखिरकार राहु को भुगतना ही पड़ा लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें अपने दुष्कर्म पर पश्चाताप भी नहीं होता | चूंकि चन्द्रमा और सूर्य ने राहु को ऐसा करते पकड़ा था तब से राहु उनसे बैर रखता हैं और समय आने पर सूर्य और चन्द्रमा को केतु और राहु के रूप् में ग्रस लेता है |इसलिए जरूरी हैं कि छल कपट से भरे लोगों द्वारा किये गये व्यवहार से हम सावधान रहें यदि वे अपने बुरे इरादों में कामयाब हो जाऐ तो उनके दुष्कर्मो का ग्रहण व्यक्ति पर पड़ता ही है |