बचपन में आप सब ने निश्चित तौर पे महाभारत देखि या पढ़ी होगी। इस कथा में लाक्षागृह का वर्णन अत्यंत ही रोमांचित कर देने वाला था। तो आज हम आपको उस वृतांत को एक छोटी सी कहानी के रूप में आपके सामने प्रस्तुत करते हैं। तो आज के विशेषांक इ जानिये की कैसे कुंती और पांडवों की प्राण के लिए एक भीलनी और उसके 5 पुत्र मृत्यु की भेंट चढ़ गए।
जब महल जल गया और वे गुप्त रूप से बच निकले, तो सारा शहर आकर पांडवों की कथित मृत्यु पर विलाप करने लगा। हस्तिनापुर में धृतराष्ट्र ने भी शोकमग्न होने का दिखावा किया। दुर्योधन ने तीन दिन तक खाना नहीं खाने का ढोंग किया। जब सुरंग खोदने वाले कंकन ने निषाद स्त्री और उसके पांच बेटों के शव देखे, तो उसने सोचा कि कुंती और उसके पुत्र क्या कभी इस अपराध से दोषमुक्त हो पाएंगे।
कुंती का भावहीन आकलन यह था कि अगर कौरवों को शव न मिले, तो उन्हें पता चल जाएगा कि पांडव बच निकले हैं और वे उन्हें ढूंढ निकालेंगे। इसलिए छह शव वहां मिलना जरूरी था और उसे इस बात का कोई पछतावा नहीं था।
कौन किसकी जगह मरा ?
एक दुर्भाग्यपूर्ण रात को उसने मेहमानों यानी निषाद स्त्री और उसके पांच बेटों के पेय में कुछ मिला दिया। मेहमानों के नींद में चले जाने के बाद पांडव और उनकी मां सुरंग से बच निकले और महल में आग लगा दी। गुप्तचर, आदिवासी स्त्री और उसके पांच बेटे आग में जलकर मर गए। विदुर ने पांडवों के बच निकलने में मदद करने के लिए कुछ लोग भेज दिए थे।जब महल जल गया और वे गुप्त रूप से बच निकले, तो सारा शहर आकर पांडवों की कथित मृत्यु पर विलाप करने लगा। हस्तिनापुर में धृतराष्ट्र ने भी शोकमग्न होने का दिखावा किया। दुर्योधन ने तीन दिन तक खाना नहीं खाने का ढोंग किया। जब सुरंग खोदने वाले कंकन ने निषाद स्त्री और उसके पांच बेटों के शव देखे, तो उसने सोचा कि कुंती और उसके पुत्र क्या कभी इस अपराध से दोषमुक्त हो पाएंगे।
शोकाकुल था हस्तिनापुर :
हर कोई मातम मनाने लगा और प्रार्थना सभाएं आयोजित की गईं। पांडवों और कुंती ने उस आग को एक दुर्घटना की तरह दिखाने के लिए हर संभव कोशिश की थी। कौरव और उनके मित्र नहीं जानते थे कि उनके दुश्मन अब भी जीवित हैं। निषाद स्त्री और उसके बेटों के शव मिलने से ऐसा लगा कि पांडव और कुंती की मृत्यु हो गई है।कुंती का भावहीन आकलन यह था कि अगर कौरवों को शव न मिले, तो उन्हें पता चल जाएगा कि पांडव बच निकले हैं और वे उन्हें ढूंढ निकालेंगे। इसलिए छह शव वहां मिलना जरूरी था और उसे इस बात का कोई पछतावा नहीं था।