आपका तो पता नहीं पर मेरे बचपन में किये सारे संघर्षों में से जो वाकया मेरे पेट में गुदगुदी कर देता है वो है sunday के दिन सैलून में अपने नंबर का इंतज़ार करना | पता नहीं क्यों घरवालों ने कभी किसी और दिन को नहीं चुना इस काम के लिये | मतलब हफ्ते में 7 दिन हैं, कभी भी भेज दो | पर अक्सर रविवार को टी.वी पर रंगोली ( कार्यक्रम ) शुरू होने से पहले ही मम्मी कान खींचकर बाल कटवाने जुम्मन चाचा की दूकान पर भेज देती थी | वहाँ भीड़ का दायरा ऐसा रहता था की मानो जैसे मुफ्त में कुछ मँहगा बट रहा हो | मै उस दिन की रंगोली जुम्मन चाचा के सलून में ही देखता था |
जब बड़ा हुआ और बाहर पढ़ने आया तो अपने मन से किसी भी दिन बाल कटवाने चला जाता था | अब मम्मी फ़ोन पर कड़ी हिदायत देतीं थी की मंगलवार और गुरुवार को भूलकर भी बाल मत कटवाना | आपको भी ये बात गले नहीं उतरती होगी की ऐसा क्या हो जाता है इन दो दिन को | कोई दिक्कत वाली बात नहीं हैं, आज हम आपका ये confusion दूर किये देते हैं |
जब बड़ा हुआ और बाहर पढ़ने आया तो अपने मन से किसी भी दिन बाल कटवाने चला जाता था | अब मम्मी फ़ोन पर कड़ी हिदायत देतीं थी की मंगलवार और गुरुवार को भूलकर भी बाल मत कटवाना | आपको भी ये बात गले नहीं उतरती होगी की ऐसा क्या हो जाता है इन दो दिन को | कोई दिक्कत वाली बात नहीं हैं, आज हम आपका ये confusion दूर किये देते हैं |
किस मान्यता के हिसाब से मंगलवार और गुरुवार को बाल और नाख़ून नहीं कटवाते :
मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को बाल ना कटवाने का वैज्ञानिक कारण:
वैज्ञानिकों के अनुसार मंगलवार, गुरुवार और शनिवार के दिन ग्रह व नक्षत्रों की दशा तथा ब्रह्माण्ड में से आने वाली अनेक सूक्ष्म से भी सूक्ष्म किरणें मानव मस्तिष्क पर अत्यंत संवेदनशील प्रभाव डालती है | जिस कारण अनेक प्रकार के नुकसानों का सामना करना पड़ता है |
- मंगलवार: इस दिन बाल कटवाने से धन की हानि होती है | यदि आपका मंगल ग्रह कमजोर है तो कभी भी मंगलवार को बाल न कटवाएं कारणवश मंगल अशुभ फल देने लगता है |
- गुरुवार: दांपत्य जीवन में तनाव आता है और बड़ो से विवाद की स्थति बनती है |
- शनिवार: शनि की शक्ति कम होती है, गठिया व कमर दर्द के रोग बढ़ते है और मन में गलत विचार आते है |
क्या ये तथ्य सही है ?
पता नहीं | ये बातें, ये तथ्य तो हम सदियों से सुनते आ रहे हैं पर हममे से कोई भी इसे सही या गलत कहने की न हिम्मत रखता है ना कोशिश | पर एक कारण जिसके होने के पुख्ता चांस है वो मै आपको बता देता हूँ |
जब समाज में वर्ण व्यवस्था बन रही थी तब विद्या बाँटने वाला पंडित हो गया, रक्षा करने वाला क्षत्रिय, लोहा गलाने वाला लोहार, घड़ा गढ़ने वाला कुम्हार और बाल काटने वाला नाई कहलाया | जो समाज का उच्च वर्ग था वो सोमवार से शनिवार तक काम करता था और सिर्फ रविवार के दिन ही खाली होता था |
इस दिन वो बाल और नाख़ून कटवाते थे | तो ये परंपरा आगे बढती रही | नाई का काम सबसे ज्यादा रविवार को होता और हफ्ते के बाकी दिनों कम | नाइयों ने भी अपनी सुविधा के अनुसार कुछ दिन चुन लिये जब वो काम पर नहीं जाते थे | उन दिनों में वो आराम करते और अपने औज़ार और सामान खरीदते थे | ये दिन होते थे मंगलवार और गुरुवार |
इन 2 दिनों पर नाई उपलब्ध नहीं होते थे बाल काटने को | अगर कोई भूले भटके इस दिन बाल कटवाने चला भी जाता था तो वो उन्हें वापस भेज देते थे | चूंकि ऊँच-नीच के चोचलों की वजह से लोग अपनी इज्ज़त को लेके खासे सतर्क थे इस वजह से कोई भी अपनी बेईज्ज़ती कराने मंगलवार और गुरुवार को नहीं जाता था |