साईं नाथ का जीवन परिचय -
साईं नाथ को लेकर लोगो के मन में आज तक एक प्रश्न हैं की वो हिन्दू थे या मुस्लिम। हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्म के लोग साईं बाबा की पूजा करते हैं। बोला जाता हैं साई नाथ हिन्दू थे परन्तु उनके पहनावे से सब उनको मुस्लिम मानते थे। साईं बाबा के माता-पिता के बारे में कुछ भी पता नहीं हैं। साईं बाबा जब 16 वर्ष के थे तब वो महाराष्ट्र के एक छोटे से गाँव शिरडी में नीम के पेड़ के नीचे तपस्या करते हुए करते हुए लोगो को दिखे थे। कुछ लोगो ने उनको पागल बोला तो कुछ लोगो ने उनको संत महात्मा समझा।
साईं बाबा 3 साल तक शिरडी में नीम के पेड़ के नीचे बैठकर तपस्या करते रहे फिर अचानक से एक दिन गायब हो गए। उनके गायब होने पर लोगो को थोड़ा अजीब भी लगा पूरा एक साल बाद शिरडी लौटे और इस बार वो बिलकुल अलग रूप में आये थे। साईं बाबा पूरे समय तपस्या में लीन रहते थे इस वजह से दिन में कोई उनके पास नहीं जाते थे और रात में वो किसी से डरते नहीं थे।
'सबका मालिक एक हैं' यह था साईं नाथ का नारा -
जब साईं नाथ दोबारा शिरडी लौटे तो सदा के लिए शिरडी ही रुक गये और शिरडी में स्थित एक टूटी-फूटी मस्जिद में रहने लगे। साईं नाथ पूरा समय बीएस शिरडी के पास स्थित जंगलों में ही घूमते रहते थे और लोगों से कम बोलते थे। उनके कम बोलने का कारण उनका पूरा समय तपस्या में लीन रहना था। उनको लोगों से भिक्षा मिलती थी जिससे उनका जीवन चलता था। और वो सभी लोगो को केवल एक ही बात बोलते थे 'सबका मालिक एक हैं' मतलब वो किसी भी धर्म में भेद-भाव नहीं करते थे।
साईं नाथ की चमत्कारी उदी -
साईं नाथ शिरडी में एक मस्जिद में रहते थे जंहा पर वो हमेशा धुनि लगाकर रहते थे। उस धुनि से जो भी राख निकलती थी उसको वो लोगो को प्रसाद के रूप में देते थे। धुनि से निकली इस राख को उदी बोला जाता था। साईं नाथ की इस उदी को लेने के लिए दूर दूर से आते थे।
साईं नाथ की इस उदी से लोगो के दुःख दर्द सब दूर होते थे। आज भी जंहा पर साईं नाथ के मंदिर हैं वँहा पर उदी लोगो को प्रसाद के रूप में मिलती हैं। साईं नाथ का शिरडी में मंदिर स्थित हैं। एक बार शिरडी में महामारी फ़ैल गयी थी तब साई नाथ ने महामारी को शिरडी से बहुत दूर कर दिया। महामारी को दूर करने में भी उदी बड़ा महत्व था।
पानी के दीये -
साईं नाथ ने बहुत सारे चमत्कार किये थे उनमे से एक चमत्कार हैं उन्होंने पानी के दिए जलाये थे। शिरडी में एक पण्डित जी रहते थे जो साईं नाथ को मुस्लिम समझते थे और सदा उनकी निंदा करते रहते थे। तो एक बार पण्डित जी ने साईं नाथ की परीक्षा लेने के लिए और लोगों को उनके खिलाफ करने के लिए पानी दीये जलाने के लिए बोला। तब साईं नाथ ने दिवाली के पवन पर्व पर पानी के दीये जलाये थे। ऐसे थे साईं नाथ के चमत्कार।