साईं बाबा को लेकर उनके भक्तों में हमेशा ही वैचारिक मतभेद सुनने को मिलते हैं। कभी कोई उनकी धर्म और जाति को लेकर लड़ बैठता है तो कभी कोई उनके जन्म को लेकर शास्त्रथ करता है। लेकिन साईं भक्तों को अपने आराध्य साईं बाबा की समाधी को लेकर कम जानकारी है। बहुत ही कम भक्त जानते हैं की साईं बाबा ने कैसे समाधी ली थी ? तो आज हम उन सारे साईं भक्तों को बताते है साईं बाबा की समाधी के बारे में।
साईं बाबा के अंतिम दिन :
साईं बाबा अपने अंतिम दिनों में अपने भक्तों से धार्मिक पुस्तके पढ़वाते थे और उन्हें उस पुस्तक का आंतरिक ज्ञान समझाते थे । साईं बाबा के स्थल पर यही सुबह और शाम होता था। 8 अक्टूबर 1918 वाले दिन बाबा साईं बहूत कमजोर हो गये । वे मस्जिद की दीवार पर बैठ गये। आरती और पूजा रोज की तरह ही हो रही थी । साईं बाबा के पास भक्तो को जाने नही दिया जा रहा था बाबा बीमार जो हो गये थे ।
साईं के आखिरी चमत्कार :
कुछ लोग एक चीते के साथ गाँव में आये कुछ तमाशा दिखा कर पैसा कमाने। चीता भी बीमारी की वजह से कमजोर हो गया था । जब चीता बाबा के सामने आया तब साईं बाबा ने उस बीमार चीते की आँखों में देखा । चीते ने भी बाबा को इस तरह देखा की वो कह रहा हो की हे साईं बाबा मुझे अब मुक्ति दिला दो इस दुनिया से । चीते की आँखों में आंसू थे । बाबा ने उस चीते की मदद उसकी मुक्ति के साथ की ।
बाबा साईं अपने अंतिम दिनों में दिनों दिन कमजोर होते जा रहे थे ।पर उन्होंने अपने इस बीमारी में भी अपने भक्तो से मिलना उन्हें उदी देना उन्हें ज्ञान देना नही छोड़ा। वे तो अपना सबकुछ पहले से ही अपने भक्तो के नाम कर चुके थे । उनके सभी भक्त बाबा की बीमारी से बहूत दुखी थी और प्राथना कर रहे थे की साईं बाबा जल्दी ठीक हो जाए
अंतिम दिन :
मंगलवार 15 अक्टूबर 1918 विजयदशमी का दिन था साईं बाबा बहुत कमजोर हो गये थे । रोज की तरह भक्त उनके दर्शन के लिए आ रहे थे। साईं बाबा उन्हें प्रसाद और उड़ी दे रहे थे भक्त बाबा से ज्ञान भी प्राप्त कर रहे थे पर किसी भक्त ने नही सोचा की आज बाबा के शरीर का अंतिम दिन है ।
दोपहर की आरती का समय हो गया था और उसकी तैयारिया चल रही थी। भक्तों के अनुसार कोई दैविक प्रकाश बाबा के शरीर में समा गया। आरती पूर्ण हुई । बाबा साईं ने अपने भक्तो को कहा की अब आप मुझे अकेला छोड़ दे । सभी वहा से चले गये। साईं बाबा को तब एक जानलेवा खाँसी चली और खून की उलटी हुई ।
तात्या बाबा का एक भक्त था जो मरण के करीब था वो अब ठीक हो गया उसे पता भी न चला की वो किस चमत्कार से ठीक हुआ है। वह बाबा को धन्यवाद देने बाबा के निवास आने लगा पर बाबा का सांसारिक शरीर तो यहीं रह गया था । साईं बाबा ने कहा था की मरने का बाद उनके शरीर को बुट्टी वाडा में रख दिया जाए वो अपने भकतो कि हमेशा सहयता करते रहेगें।